मिथिला के पारंपरिक रोजगार को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जायेगा - डॉ सीपी ठाकुर
दरभंगा। देवेन्द्र कुमार ठाकुर।
मैथिली को अष्टम अनुसूचि में शामिल करने के बाद मैथिली भाषा को सीबीएसई के पाठ्यक्रम में शामिल कराने में प्रभावकारी भूमिका निभाने के लिए राज्यसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर का शनिवार को दरभंगा में नागरिक अभिनंदन किया गया। विद्यापति सेवा संस्थान एवं महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान आयोजित सम्मान समारोह में डॉ ठाकुर को मिथिला की परंपरा के अनुरूप पाग व चादर से सम्मानित किया गया। उन्हें ताम्रपत्र पर उल्लेखित अभिनंदन पत्र भी समर्पित किया गया।
सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए डॉ ठाकुर ने कहा कि मिथिला के साथ उनका मां-बेटे का संबंध है। उन्होंने कहा कि मैथिली मेरी मां की भाषा है। उनका ननिहाल मिथिला के रामपुरा में अवस्थित है। उन्होंने कहा कि मैथिली के विकास के लिए उनसे आज तक जो बन पड़ा उन्होंने किया है। अब अगली पारी में वह मिथिला के विकास के प्रति कृत संकल्प रहेंगे। उन्होंने कहा की इस यात्रा में मिथिला के पारंपरिक रोजगार को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जाएगा।
डॉ ठाकुर को सम्मानित करते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मिथिला और मैथिली को 90 के दशक से परवान चढ़ाने में सीपी ठाकुर लगे हुए हैं। आज उनकी सक्रियता के कारण ही मैथिली को पुनर्जीवन मिला है। उन्होंने कहा मैथिली को अष्टम अनुसूची में शामिल करने सहित इसे सीबीएसई के पाठ्यक्रम में शामिल कराने के लिए संपूर्ण मिथिलावासी की ओर से व उनके प्रति कृतज्ञ हैं।
समारोह में चेतना समिति के अध्यक्ष विवेकानंद झा, विनोद कुमार झा, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष डॉ एसएचएआर, मिथिलाक्षर का कंप्यूटर फोंट तैयार करने वाले पंडित विनय झा, डॉ गणेश कांत झा, एमएमटीएम कॉलेज के प्रधानाचार्य उदय चंद्र मिश्र, प्रवीण कुमार झा, आशीष चौधरी सहित अनेक निजी विद्यालयों के निदेशक एवं प्रधानाचार्य शामिल हुए। एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ विद्या नाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह का संचालन मैथिली भाषा साहित्य में हास्य सम्राट के नाम से विख्यात डॉ जयप्रकाश चौधरी जनक ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन विद्यापति सेवा संस्थान के स्वागत महासचिव जीवकांत मिश्र ने किया।