पकड़ीदयाल डीएसपी दिनेश, नई पौध को दिखा रहे जीने की असली राह, जानिए, कैसे कर रहे बच्चों को प्रेरित
मोतिहारी। पकड़ीदयाल। माधुरी रंजन।
नक्सल प्रभावित पताही प्रखंड क्षेत्र में चलाएं जा रहे एजुकेशन अभियान के तहत इन दिनों अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी दिनेश कुमार पांडेय बच्चों के बीच खासे अपनापन बटोर रहे हैं। बच्चों को जीवन जीने की राह दिखाकर डीएसपी श्री पाण्डेय को आंतरिक खुशी मिल रही है।
अभिभावक हैं काफी प्रभावित-
गांव-जवार को लोग भी काफी उत्साहित दिख रहे हैं। उनका मानना है कि बच्चों के कोमल मन को एक सफल व्यक्ति की रोचक बातें काफी प्रभावित करती हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को समझाते वक्त वे काफी रम जाते हैं। यह बच्चों के भविष्य के प्रति उनकी आंतरिक इच्छा को भी दर्शाता है।
डीएसपी पहुंचे मिर्जापुर-
इस कड़ी में मंगलवार को मिर्जापुर शिवशंकर उच्च विद्यालय के प्रांगण में डीएसपी श्री पाण्डेय ने हजारों बच्चों को एजुकेशन संबंधित जानकारी दी। उन्होंने कोयल व तोते की आवाज का उदाहरण देकर छात्र-छात्राओं को एक ज्ञानी व एक नकलची को समाज से मिलने वाली मान-मार्यादा में अंतर को स्पष्ट किया। लोगों ने माना कि निश्छल बच्चों के मन-मिजाज को ऊर्जान्विंत करने में डीएसपी श्री पाण्डेय सिद्धहस्त हैं। वह भी सरल व सहज तरीके से।
कितना अंतर है कोयल व तोते की आवाज में-
श्री पांडेय ने उपस्थित बच्चों को बताया कि जीवन में पढ़ाई-लिखाई का क्या महत्व है। जीवन में ज्ञान की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जंगल में बहुत सारे पक्षियों रहते हैं। पर उन में से दो पक्षी की आवाज सुनने में हम लोगों को बहुत अच्छा लगता है। जिसमें पहली कोयल की व दूसरा तोते की आवाज। दोनों पक्षियों के जीवन में जमीन-आसमान का फर्क है। कोयल की आवाज अपनी व स्वतंत्र होती है। पर तोता जो बोलता है। वह दूसरे किसी की आवाज की नकल होती है। उसी तरह जो पढ़े लिखे हैं, उनके जीने का तरीका वे स्वयं तय करते हैं । गांव समाज में सब लोग ऐसे लोगों की प्रशंसा करते हैं। जो पढ़े लिखे नहीं हैं, उनके जीने का तरीका उसी तोता की तरह, कोई दूसरा निर्धारित करता है। इसी लिए नकलची लोगों को गांव समाज के लोग हीन आंक कर देखते हैं।
अपने करियर को उदाहरण दे बच्चों को समझाया-
डीएसपी श्री पाण्डेय ने अपने करियर का उदाहरण देते हुए बच्चों को समझाया कि अगर आप अपने जीवन के इस क्षण को पढ़ाई के दिशा में झोंकते हैं। तो आप भी उनके जैसे बन सकते हैं। अच्छे बनने के लिए और अच्छा समाज निर्माण करने के लिए स्वयं को अच्छा बनाना पड़ता है। इसके लिए हम सभी को दृढ़ संकल्प के साथ इस पर काम को करना होगा। तब जाकर पढ़ा-लिखा समाज का निर्माण हो सकता है।
मौके पर कैलाश प्रसाद कुशवाहा भरत राउत, मनोज दास, रामचंद्र उपाध्याय, नंदेश्वर राउत, मनोज साह, ललन साह, मुकेश राउत, नीतू कुमारी, नेहा कुमारी, गीता कुमारी व पुष्पा कुमारी सहित अन्य बच्चे व अभिभावक उपस्थित रहे हैं।