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SC का बड़ा आदेशः बिहार के 17 शेल्टर होम की जांच करेगी CBI
By Deshwani | Publish Date: 28/11/2018 4:43:45 PM
SC का बड़ा आदेशः बिहार के 17 शेल्टर होम की जांच करेगी CBI

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के सभी 17 शेल्टर होम में यौन शोषण के मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी है। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में पहले से ही सीबीआई जांच हो रही है। अब बाकी 16 शेल्टर होम में बच्चों के साथ ऐसे मामलों की जांच सीबीआई ही करेगी। कोर्ट ने बिहार सरकार की अब तक जांच पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। 

 
बिहार सरकार के वकील ने अभी जांच  सीबीआई को न सौंपे जाने का कोर्ट से बार बार अनुरोध करते हुए कहा कि 10 दिन के अंदर स्टेटस दाखिल कर देंगे। पहले कोर्ट उसे देख ले, अगर कोर्ट असंतुष्ठ हो तो  सीबीआई जांच का आदेश दे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को ठुकरा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी केसों में सीबीआई से जांच शुरू करने के साथ ही कहा कि टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट में रखे गए सभी आरोपों की जांच की जाए। 
 
सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि मुजफ्फरपुर रेप केस में 7 दिसंबर तक चार्जशीट दायर हो जाएगी। सुनवाई के दौरान बिहार के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे। सुप्रीम कोर्ट के फटकार के बाद बिहार सरकार ने एफआईआर में आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 323/325/377 और पक्सो एक्ट जोड़ लिया है। 
 
 
दरअसल, मंगलवार को इन मामलों में ज़रूरी कार्रवाई न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है जो कि यह शर्मनाक है। कोर्ट ने कहा था कि मुजफ्फरपुर जैसे कई मामले सामने आने की आशंका है इसलिए  सीबीआई को सभी केस सौंपा जा सकता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को 24 घंटे में कार्रवाई रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे।
 
कोर्ट ने जांच एजेंसी के एडवोकेट से कहा था कि बुधवार तक पूछकर बताएं कि क्या सीबीआई सभी 14 शेल्टर होम की जांच को तैयार है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान बिहार के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए कहा था कि आरोपियों के खिलाफ नरम रुख क्यों अख्तियार किया गया? कोर्ट ने पूछा कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी कीधारा 377 और पॉक्सो एक्ट को क्यों नहीं जोड़ा गया? कोर्ट ने इसके लिए भी बिहार सरकार को 24 घंटे का वक्त दिया था। 
 
गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम को एक बच्ची का कंकाल मिला था। महिला व बाल विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव ने कोर्ट को बताया था कि बाल यौन उत्पीड़न मामले को लेकर पुनर्वास, बालगृहों में सुविधाएं और बाल संरक्षण नीति पर काम चल रहा है। 
 
न्यायमित्र अर्पणा भट्ट ने कहा था कि स्कूल हो या शेल्टर होम, बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। सरकार को जल्द बाल संरक्षण नीति लागू करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि वह राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों की एक संस्था बनाए, जो बच्चों से यौन उत्पीड़न के मामलों पर गौर करे। सरकार ने कहा था कि इस बारे में तीन हफ्ते में निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराया जाएगा। कोर्ट ने बाल संरक्षण के लिए जल्द अंतरिम दिशा निर्देश जारी करने को कहा था।  
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