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हिंदी भारत की संस्कृति की प्रतीक है -डी एम
By Deshwani | Publish Date: 14/9/2018 8:50:43 PM
हिंदी भारत की संस्कृति की प्रतीक है -डी एम

कार्यक्रम को संबोधित करते डीएम व अन्य। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।

दरभंगा। देवेन्द्र कुमार ठाकुर। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।

 हिंदी भारत की हमारी संस्कृति का प्रतीक है। यह हमारी संस्कृति एवं अस्मिता से जुड़ी हुई है। जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह ने समाहरणालय स्थित अंबेडकर सभागार में हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में भी देश को एक सूत्र में बांधने में हिंदी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी कार्यालयों में शत-प्रतिशत काम अब हिंदी में ही होते हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि सभी भाषा महत्वपूर्ण है एवं सब के प्रति सम्मान का भाव रखने की जरूरत है।

कार्यक्रम में मिथिला विश्वविद्यालय उप कुलानुसाशक प्रोफेसर सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने बताया कि हिंदी जन-जन की भाषा है। इसके रचनाकारों ने इसे नई ऊंचाई दी है। उन्होंने हिंदी एवं उर्दू दोनों को सहोदरी बताया।
 
प्रोफेसर बीबीएल दास ने बताया कि भाषा ज्ञानार्जन में सहायक है। उन्होंने हिंदी को एक वैज्ञानिक भाषा बताते हुए कहा कि यह रोजगार प्राप्ति में भी काफी सहायक है। कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने भी हिंदी के प्रति अपने विचार रखें। रोजगार उन्मुख शिक्षा के विकास में हिंदी की भूमिका विषय पर हुए हुए निबंध लेखन प्रतियोगिता में अववल आये बच्चों को जिलाधिकारी ने पुरस्कार देकर प्रोत्साहित भी किया। इस अवसर पर जिला शिक्षा पदाधिकारी महेश प्रसाद सिंह, सहायक समाहर्ता विवेक रंजन, डी पी आर ओ लालबाबू सहित काफी संख्या में शिक्षाविद, साहित्यप्रेमी, स्कूली बच्चे एवं अन्य उपस्थित थे।

वही संवाददाता के अनुसार सेंट ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र दरभंगा में शुक्रवार को राज्य भाषा दिवस पर समारोह का आयोजन किया गया। 60 प्रतिभागी प्रशिक्षुओं के बीच वाद विवाद प्रतियोगिता एवं मूघंर्यु विद्वान के द्वारा राज्य भाषा की उपदियाता पर परिचर्चा आयोजित की गयी। केंद्र निर्देशक बंशीधर झा ने हिंदी को माँ भारती के भाल की हिंदी और सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी वहन की संज्ञा दी। संस्थान में सभी ने आज के दिन से भविष्य में सभी कार्य कलाप व संबोधन संप्रेषण में अधिवादिक हिंदी के उपयोग का संकल्प लिया। इस अवसर पर सहायक श्रवण कुमार झा, फैकल्टी मनीष गुप्ता, कृषि वैज्ञानिक राणा रणधीर सिंह, गेस्ट फैकल्टी काजल सिंह आदि लोग मौजूद थे।

वही दूसरी ओर हिंदी दिवस के अवसर पर मिल्लत महाविद्यालय में हिंदी दशा और दिशा विषयक संगोष्ठी प्रधानाचार्य डॉक्टर मोहम्मद रहमतुल्लाह की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। इस मौके पर मिल्लत कॉलेज के हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ0 मोहित ठाकुर को पाग एवम चादर से प्रधानाचार्य द्वारा सम्मानित किया गया। मंचासीन सदस्यों द्वारा दीप जलाकर संगोष्ठी का उद्घाटन किया गया प्रधानाचार्य डॉ0 रहमतुल्ला ने कहा किए 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हो गया और उसमें यह व्यवस्था की गयी की हिंदी को 1965 तक राजभाषा के पद पर आसीन कर दिया जाएगा राजभाषा अधिनियम 1976 के तहत हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए कुछ प्रभावी कदम उठाए गए फिर हिंदी ना तो राजभाषा का पद ले सकी और ना राष्ट्रभाषा का ही।
सभा को संबोधित करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष मोहित ठाकुर ने कहा के हिंदी विष्व की तीसरी सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है फिर भी राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में यह अपेक्षित और प्रताड़ित है।

है। कार्यक्रम में कॉलेज के शिक्षक डॉ0 अयाज अहमद, सुनीता झा, सोनी शर्मा, मुदस्सिर भट्ट, अल्ताफ उल हक, अताउर्रहमान, हेमंत झा, रिजवान अहमद, भक्ति नाथ झा, डब्लू मिश्रा, डॉ0 सुनीता झा,  प्रोफेसर शहनाज बेगम, डॉ रिजवान उल्लाह, सियाराम, शिक्षकेतर कर्मचारी गन छात्र-छात्राएं मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन पूर्व रजिस्ट्रार डॉ मुस्तफा कमाल अंसारी ने किया और उन्होंने कहा के किसी भी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए उसका पढ़ना लिखना और व्यवहार में लाना जरूरी है।
“हिन्दी दिवस“ के अवसर पर दूरस्थ शिक्षा निदेशालय द्वारा संचालित बी एड नियमित में “हिन्दी दिवस समारोह“ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गीतकार गीतेश मुख्य अतिथि रहे। इस अवसर पर  विभाग के सभी शिक्षक एवं छात्र उपस्थित रहे।
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