मोतिहारी। माला सिन्हा। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।
ब्रम्हा बनकर अपने शिष्यों में सद्गुणों का सृजन करना, विष्णु बनकर उनके सद्गुणों व सद्प्रवृत्तियों का रक्षण और पालन करना तथा महेश बनकर उनमें शेष दुष्प्रवृत्तियों का नाश करना एवं शिष्य को साक्षात् ब्रह्म स्वरूप का आभास करा देने वाले प्रज्ञा-पुरुष गुरु के प्रति कृत्य-कृत्य हो जाने वाला महापर्व है गुरुपूर्णिमा। उक्त बाते शुक्रवार को महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान में आयोजित गुरुपूर्णिमा उत्सव कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने व्यक्त किया।
अनादि काल से गुरु ने शिष्य का समग्रता से मार्गदर्शन किए-
श्री पाण्डेय ने कहा कि अपने राष्ट्र में गुरु की भूमिका केवल आध्यात्मिकता या धार्मिकता तक ही सीमित नहीं रही है,अपितु देश पर राजनीतिक विपदा आने पर गुरु ने देश को उचित सलाह देकर विपदा से उबारा भी है। अर्थात् अनादि काल से गुरु ने शिष्य का हर क्षेत्र में व्यापक एवं समग्रता से मार्गदर्शन किया है। अन्य वक्ताओं में सुधीर दत्त पाराशर, सुधाकर पाण्डेय, रूपेश ओझा, विकास पाण्डेय, राजन पाण्डेय, कुन्दन पाठक, अरुण तिवारी, सुजीत मिश्रा व सुनिल उपाध्याय आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर रुद्राभिषेक व वेद पूजन अनुष्ठान के बाद छात्रों ने अपने गुरुजनों का पूजन किया। वहीं जीवधारा स्थित श्री रामजानकी मंदिर परिषर में गुरुपूर्णिमा के अवसर पर पूजा अर्चना की गई। मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष रामबाबू सिंह, मदन प्रसाद जायसवाल, सुरेन्द्र यादव सहित कई लोग मौजूद थे।