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''डर के आगे जीत है'' को अमलीजामा पहना रहे है रक्सौल के टिंकू सर्राफ, भय पर काबू पाने को बन गए खतरों के खिलाड़ी
By Deshwani | Publish Date: 13/4/2018 8:10:23 PM
''डर के आगे जीत है'' को अमलीजामा पहना रहे है रक्सौल के टिंकू सर्राफ, भय पर काबू पाने को बन गए खतरों के खिलाड़ी

दुबई में प्लेन से स्काद ड्राइव करते टिंकू सर्राफ। फोटो- देशवाणी।

मोतिहारी। रक्सौल से अनिल कुमार की रिपोर्ट
कुछ अलग करने की चाहत और बचपन से सता रहे भय को काबू पाने को ठान लिया तो बन गये खतरों के खिलाड़ी। अब आलम यह है कि हजारों फीट की ऊंचाई से कूदने व समुद्र की गहराइयों तक जाने का बना रहे नया-नया रिकॉर्ड। आजकल  डर इनसे ही भय खाकर भागने लगा है। खतरों से खेलना और दो-दो हाथ आजमाना जो इनकी शौक में शामिल हो गया है।
खतरों के खिलाड़ी बने हैं पूर्वी चम्पारण के नेपाल सीमा पर बसे रक्सौल के लाल टिंकू सर्राफ। 
इन्होंने पूरी दुनिया को बता दिया कि सचमुच "डर के आगे जीत' ही तो है। यह भी कि डर को मान लिया तो हार और ठान लिया तो जीत।

-रक्सौल के जाने माने स्वर्ण व्यवसायी के पुत्र हैं टिंकू

टिंकू सर्राफ शहर के आश्रम रोड, वार्ड नंबर 9 निवासी जानेमाने व्यवसायी किरण शंकर के पुत्र हैं। किरण सर्राफ का मेन रोड जगदम्बा ज्वेलर्स की दुकान है। टिंकू सर्राफ ने देशवाणी को बताया कि उन्हें बचपन से ही कुछ अलग करने की चाहत थी। लेकिन इनके समक्ष भय इनकी राह में एक दीवार के रूप में खड़ी थी। समुद्र की अथाह गहराइयों व आकाश की अनंत ऊचाई से बचपन से ही भय लगना उनके स्वभाव में शामिल था। तो उन्होंने भय पर ही विजय ही विजय पाने की ही ठान ली।

-जिन्दगी न मिलेगी दुबारा फिल्म से मिला हौसला

बचपन से ही ऊँचाई, पानी की गहराई, पहाड़ो और बर्फों से डर लगता था। डर को खत्म करने के लिए मैंने ठान लिया । इसी दौरान मुझे जिन्दगी ना मिले दुबारा फिल्म को देखने का मौका मिला। जिसे मैने पच्चीस बार देखा, फिल्म देखने के बाद मेरे मन में चाहत पैदा हो गई। पिता किरण शंकर ने मुझे बहुत समझाया पर मेरा जुनून खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। बताया कि पिता से उन्होंने दस साल का समय मांगा। सबसे पहले द लास्ट रिसोर्ट भोटे खोसी (नेपाल) में उन्होंने बंजी जम्प की। जिसकी ऊँचाई 6 सौ 50 फीट है, जो विश्व कि दूसरी हाईएस्ट बंजी जम्प है। उसके साथ ही नेपाल के दुर्गम बर्फिला क्षेत्र मुक्तिनाथ मंदिर का सफर मोटरसाईकिल से जनवरी में किया। जनवरी में बर्फ के कारण रास्ते बंद होने पर भी मोटरसाईकिल से यात्रा की। उसके बाद मेरे मन में लेह लद्दाख जाने की इच्छा हुई तो राईट आॅफ लाईफ कम्पनी से बात की, लेकिन पैसे नहीं होने के कारण बात नहीं बन पायी, तो मैने सीबीआर 250 होण्डा बाईक से रक्सौल से लद्दाख का सफर शुरू कर दिया। जिसमें माइनस 6 डिग्री में भी बाइक चलाकर मनाली होकर लद्दाख पहुंचा और कारगिल सोनमर्ग, जम्मू होकर मोटरसाईकिल से ही रक्सौल पहुंचा।

-समुद्र की गहराई से डर को हटाने को समुद्र की सतह से 200 फीट अंदर ड्राइव किया

 टिंकू ने बतया कि समुद्र के गहराई से भी उन्हें काफी डर लगता था, तो उन्होंने मालदीव में जाकर समुद्र के तल के नीचे 2 सौ फीट स्कूवा ड्राइव किया। जो बहुत ही रोमांचक था। टिंकू ने बतया कि इस दौरान उनका ध्यान आखरी ख्वाहिश खतरनाक स्काइ ड्राइविंग की तरफ आकर्षित हुआ। उन्होंने 4 जनवरी 2018 को दुबई  पहुंच स्काइ ड्राइव रेगिस्तान के ऊपर से स्काई ड्राईव दुबई डीजर्ट कैम्पस में 18 हजार फीट की ऊँचाई से प्लेन से जम्प किया। फिर दुबई में ही दूसरा स्काई ड्राईव जम्प जीरो प्वाइंट स्काइ ड्राइव दुबई पाॅम से 22 हजार फीट की ऊँचाई से जम्प किया।

जीवन एक यात्रा है। इसे जबरदस्ती तय ना करे, इसे जबरदस्त तरीके से तय करें
 
टिन्कू सर्राफ का कहना है कि जीवन एक यात्रा है। इसे जबरदस्ती तय ना करे, इसे जबरदस्त तरीके से तय करें।
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