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बिहार
छात्र संघ चुनाव में लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों की उड़ेगी धज्जियां
By Deshwani | Publish Date: 10/2/2018 4:59:43 PM
छात्र संघ चुनाव में लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों की उड़ेगी धज्जियां

आरा । बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति सत्य पाल मल्लिक के आदेश के बाद विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुलपतियों ने चुनाव की तिथि भी घोषित कर दी है, लेकिन छात्र संघ चुनाव की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठने लगा है। सवाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ठीक विपरीत हो रहे चुनाव को लेकर है। छात्र संघ चुनाव में लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों का पालन नहीं किया जा रहा है, जबकि छात्र संघ चुनाव हर हाल में लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों के आधार पर ही होना है।

इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वर्ष 2006 में सर्कुलर जारी कर दिया है। छात्र संघ चुनाव में बाहुबल, धनबल और अपराध पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन यूपीए सरकार को दिशा-निर्देश जारी किया था। तब यूपीए सरकार ने पूर्व चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई थी। इस कमिटी को लिंगदोह कमिटी का नाम दिया गया। वर्ष 2006 में लिंगदोह कमिटी ने छात्र संघों के चुनाव को लेकर कई मापदंड तय किये और अपनी सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट में भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट ने लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए इसके मुख्य अंशों को कानून का रूप दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब छात्र संघ के चुनाव होंगे तो लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों के आधार पर होंगे अन्यथा छात्र संघ के चुनाव नहीं होंगे। 
लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों के आधार पर चुनाव एकेडमिक सेशन के शुरू होने के छह से आठ सप्ताह के भीतर कराना है, जबकि बिहार में होने जा रहा छात्र संघ चुनाव ठीक लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध होने जा रहा है। एकेडमिक सेशन एक जुलाई से 30 जून तक का होता है। जब एक जुलाई से एकेडमिक सेशन शुरू होता है तब अगस्त में ही छात्र संघ के चुनाव हो सकते हैं अन्यथा इसकी संवैधानिकता पर सवाल उठेगा । अभी कई विश्वविद्यालयों में सत्र नियमित नहीं है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा में आगामी 27 फरवरी को अब छात्र संघ का चुनाव होना तय हुआ है। यहाँ के सत्र को देखा जाय तो स्नातक खण्ड एक के सत्र करीब आठ माह पिछड़ा हुआ है। मई की परीक्षाएं अगले वर्ष जनवरी में संपन्न हुई है। स्नातक खण्ड-दो की परीक्षाएं अप्रैल के बदले दिसम्बर में संपन्न हुई है। स्नातक खण्ड तीन की परीक्षाएं भी काफी विलम्ब से हुई है। पीजी सेमेस्टर एक, दो, तीन और चार के सत्र भी पिछड़े हुए हैं। ऐसे में छात्र संघ चुनाव की पूरी प्रक्रिया गोल मटोल हो गई है। छात्र संघ चुनाव किस सत्र के होंगे यह भी सवाल सबके सामने है। लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों के अनुसार नियमित छात्र जिनकी वर्ग में उपस्थिति 75 प्रतिशत होगी, वही उम्मीदवार हो सकते हैं, किन्तु बिहार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्थिति यह है कि अधिकांश जगह छात्र पढ़ने ही नहीं जाते। बिहार के उच्च शिक्षण का केंद्र बने महाविद्यालयों में सिर्फ नामांकन और पंजीयन होते हैं और सीधे परीक्षा फॉर्म भरे जाते हैं । यही नहीं कई कॉलेजों में तो नामांकन और परीक्षा प्रपत्र एक ही दिन, एक ही साथ भरे जाते हैं और छात्र सीधे प्रवेश पत्र लेकर परीक्षा केंद्र पर पहुँच जाते हैं। ऐसे में छात्र संघों के चुनाव का कोई संवैधानिक और प्रामाणिक वजूद नहीं रह पाएगा। जब तक छात्रों के सत्र नियमित नहीं होंगे, वर्ग में पढ़ाई नहीं शुरू होगी तबतक वैधानिक रूप से छात्र संघों के चुनाव की कल्पना बेकार साबित होगी। 
बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति को चाहिए की सबसे पहले सत्र को नियमित करने की दिशा में पहल करे और तब अगस्त में छात्र संघों के चुनाव कराए तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं होगी और लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों के अनुरूप चुनाव हो पाएंगे। करीब साढ़े तीन दशकों से बिहार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्र संघों के चुनाव नहीं होने से राजनीति की नर्सरी मुरझा चुकी है और बिहार के राज्यपाल द्वारा अफरा तफरी में चुनाव कराने के आदेश के बाद छात्र संघों के चुनाव की प्रक्रिया और परिणामों पर संकट के बादल न छा जाये | ऐसी बातों से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आचार संहिता लागू हो चुकी है और विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र संघ चुनाव कराने की पूरी तैयारी में लग चुका है। छात्र संघ चुनाव के मामले पटना उच्च न्यायालय में भी ले जाने की चेतावनी मिल रही है।अगर मामला उच्च न्यायालय में चला गया तो यह चुनाव बाधित हो सकता है और वर्षों बाद चुनाव की संभावनाओं पर एक बार फिर विराम लग सकता है। अब राजभवन को तय करना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश और लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों का पालन करता है या संवैधानिक संकट खड़ा कर बिहार में छात्र संघ बहाल करता है।
 
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