पटना, (हि.स.)। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। उपमुख्यमंत्री शुक्रवार को बिहार वेटनरी कॉलेज के सभागार में राष्ट्रीय महिला आयोग एवं बिहार पुलिस के संयुक्त तत्वावधान में राज्य के 40 महिला थानों के थानाध्यक्षों और अन्य अनुसंधान पदाधिकारियों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि एसटी समुदाय से आने वाले थारूओं का ‘बिहार स्वाभिमान पुलिस’ के नाम से दो बटालियन का गठन किया गया है। एनडीए सरकार के दौरान 2011 में राज्य के सभी 40 पुलिस जिलों में महिला पुलिस थाना खोला गया। राज्य के 700 थानों में महिलाओं के लिए शौचालय व स्नानागार का निर्माण कराया गया है। सोशल क्राइम पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक जिले में एक-एक डीएसपी की तैनाती प्रक्रियाधीन है। बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद राज्य की महिलाओं को पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जो महिला सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित हुआ है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रति एक लाख पर बलात्कार की घटनाओं का राष्ट्रीय औसत 6.3 , जबकि बिहार में मात्र दो है । इसी तरह छेड़खानी के मामलों में प्रति लाख पर राष्ट्रीय औसत 13.2, जबकि बिहार का 0.6 है, लेकिन दहेज जनित मृत्यु का राष्ट्रीय औसत जहां 1.2 वहीं बिहार का 2 है, जो चिन्ता की बात है। उन्होंने कहा कि 2015 में बलात्कार से जुड़े 91 मामलों में सजा दी गई, वहीं 2017 में इसकी संख्या बढ़कर 168 हो गई। दहेज हत्या के मामले में 2015 में 110 तथा 2017 में 170 लोगों को सजा दी गई है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पुरुषवादी मानसिकता से महिला पुलिस अधिकारियों को भी बाहर निकलने की जरूरत है। आज महिलाओं में जागृति आई है, अब वह मुकाबला कर रही है। घरेलु हिंसा की घटनाएं पहले भी घटती थीं, मगर अब वह प्रतिवेदित हो रही हैं। उन्होंने अपील किया कि पुलिस महिलाओं से जुड़े मामले में बेहतर अनुसंधान करें, ताकि अपराधियों को सजा मिल सके।