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लालू का जेल जाने के बाद भी झारखंड में राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाने की कवायद जारी
By Deshwani | Publish Date: 4/2/2018 5:54:08 PM
लालू  का जेल जाने के बाद भी झारखंड में राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाने की कवायद जारी

रांची। लालू प्रसाद यादव का जेल जाने के बाद भी झारखंड में राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाने की कवायद जारी है। भाजपा के बढते रफ्तार को रोकने के लिए विपक्षी एकता को लालू ने पिछले दिनों जान फूंकने का काम किया है। रफ्ता रफ्ता ही सही झारखंड में यूपीए गठबंधन का प्लॉट तैयार हो रहा है। एक समय ऐसा लगा था कि लालू के जेल जाने से विपक्षी एकता के प्रयासों को झटका लगेगा। लेकिन लालू जेल से ही विपक्ष को एक करने में लगे हैं। 


चारा घोटाला के एक मामले में होटवार जेल में साढ़े तीन साल की सजा काट रहे लालू प्रसाद एक बार फिर झारखंड में विपक्ष की राजनीति का केन्द्र बन रहे हैं। पिछले दिनों जेल में उनसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने मुलाकात की। सहाय ने बाहर निकल कर लालू की तारीफ की और कहा कि वह हमेश सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने वाले योद्धा रहे हैं। इसीलिए देश उनका कायल है। सहाय ने लालू के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। सहाय के करीबी सूत्रों के अनुसार लालू ने भाजपा के खिलाफ साझा मोर्चा बनाने के लिये कांग्रेस को पहल करने को कहा है। दरअसल झारखंड में विपक्ष की एकता के लिये लालू पहले से ही प्रयासरत हैं। चारा घेटाले के विभिन्न मामलों में पेशी और गवाही को लेकर लालू पिछले कुछ महीनों से लगातार रांची आ रहे थे। इस दौरान वे कांग्रेस, झामुमो और झाविमो सहित अन्य गैर भाजपा दलों के नेताओं से बातचीत कर विपक्षी एका का प्रयास करते थे। इसमें उन्हें बहुत हद तक सफलता भी मिली थी। 

चारा घोटाले के विभिन्न मामलों में लालू का करीब छह माह से हर सप्ताह रांची का मैराथन दौरा जारी था। इस दौरान उन्होंने दो धुर विरोधी झारखंड नामधारी दलों के सुप्रीमो को एक मंच पर ला दिया था। पर लालू के जेल जाने के बाद महागठबंधन को लेकर अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गयी थी। लेकिन लालू ने जेल से ही विपक्षी एकता को साकार करने की कमान थाम ली है। विपक्षी दलों के नेताओं को भी लालू पर भरोसा है। इसी क्रम में लालू का कुशल क्षेम जानने के लिए नेताओं का जेल में उनसे मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। इसी बहाने विपक्ष की भावी राजनीति पर चर्चा हो रही है।

 

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो ) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी को नजदीक लाने में लालू की प्रमुख भूमिका रही है। झारखंड में विपक्ष की एकता में ये दोनों ही सबसे बडे बाधक रहे हैं। बाबूलाल के करीबी सूत्रों ने बताया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए ) के सभी घटक दल साझा चुनावी रणनीति बनाने के पक्ष में हैं। लालू के रांची में रहने से झामुमो और झाविमो की गतिविधियां भी बढी हैं। इनके नेता झारखंड और बिहार के राजद नेताओं के सम्पर्क में हैं। इस बीच कांग्रेस के साथ बाबूलाल की नजदीकियां बढी हैं । कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ उनकी बातचीत हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी वह हाल ही में मिल चुके हैं। लालू पहले से ही कांग्रेस के करीब हैं। बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद भी कांग्रेस राजद के साथ है। झारखंड में राजद की स्थिति अच्छी नहीं है। यही वजह है कि लालू ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय को झारख्ंड में यूपीए के घटक दलों को एक मंच पर लाने के लिये पहल करने को कहा है। सहाय मिलनसार और सक्रिय नेता हैं। सभी दलों के नेताओं से उनके अच्छे संबंध रहे हैं। पूर्व में कई मौकों पर प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं को वह एक मंच पर ला चुके हैं। जेल में लालू की सबसे बडी परेशानी यह है कि उनसे लोगों के मिलने नहीं दिया जाता है। जेल मैनुअल का हवाला देकर सुरक्षाकर्मी सप्ताह में केवल तीन व्यक्तियों को ही उनसे मिलने की अनुमति देते हैं। इसीलिये लालू मिलने आने वाले लोगों के जरिये ही अपना राजनीतिक संदेश बाहर भेज रहे हैं।


गौरतलब है कि बीते वर्ष पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 27 अगस्त को आयोजित राजद की रैली में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और झारखंड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने मंच साझा किया और देश को भाजपा मुक्त करने का एक सुर में संकल्प लिया था। दरअसल लालू बिहार की तर्ज पर झारखंड में महागठबंधन बनाना चाहते थे। झारखंड में विपक्ष के बिखराव का कारण झाविमो की एकला चलो रण्नीति रही है। झामुमो और झाविमो के बीच दूरी की वजह यह रही है कि दोनों के वोट बैंक समान हैं। लेकिन अब इन्हें भी यह बात समझ में आ गयी है कि भाजपा को चुनौती देना अकेले किसी पार्टी के बूते की बात नहीं है। 

रांची प्रवास के दौरान लालू अदालती काम-काज से निपटने के बाद विपक्षी दलों के बीच संवादहीनता मिटाने और उन्हें एकजुट करने का प्रयास करते रहे हैं। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी करीब आये हैं। लालू का फॉर्मूला साफ है कि अगर झारखंड में भाजपा को घेरना है, तो बाबूलाल और हेमंत के बीच की दूरी को पाटना ही होगा। 

धीरे-धीरे यह काम हो भी रहा है। सरकार को घेरने में अन्य विपक्षी दलों के साथ झामुमो और झाविमो की मुख्य भूमिका नजर आने लगी है। झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में झामुमो समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने बीते दिनों राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर आरोपों से घिरे मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, डीजीपी डीके पाण्डेय और एडीजी अनुराग गुप्ता को पद से हटाने और उनके खिलाफ आरोपों की जांच कराने की मांग की है। इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट है। विपक्ष का कहना है कि जब तक इस मामले में सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिल जाता है तबतक वे विधानसभा का बजट सत्र नहीं चलने देंगे। 












 
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