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भागलपुर
शहीद निलेश के अंतिम दर्शन को उधाडीह गांव में लोगों का उमड़ा जनसैलाब
By Deshwani | Publish Date: 13/10/2017 8:50:12 AM
शहीद निलेश के अंतिम दर्शन को उधाडीह गांव में लोगों का उमड़ा जनसैलाब

भागलपुर (हि.स.)। जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए जवान उधाडीह सुलतानगंज निवासी निलेश नयन का पार्थिव शरीर कटिहार चुनापुर हवाई अड्डे से होते हुए गुरुवार को उधाडीह पहुंचा। जहां हजारों की संख्या मे लोग इस वीर सपूत के अंतिम दर्शन को खड़े थे। ज्यों ही शहीद का पार्थिव शरीर उधाडीह पहूंचा त्यों ही इस वीर सपूत के समर्थन में गगनभेदी नारे लगने लगे। हाथों में तिरंगा और मुंह से राष्ट्र प्रेम के साथ राष्ट्रभक्ति धुन की घर कब आओगे। बैंड-बाजा और राष्ट्रभक्ति गीतों की धुन पर पार्थिव शरीर के साथ जनसैलाब चल रहा था। सचमुच इस शहादत को लेकर उधाडीह निवासियों का राष्ट्र के प्रति यह जज्बा समूचा देश याद रखेगा। अपने शहीद बेटे, भाई, मित्र की एक झलक पाने को पूरा गांव व्याकुल था। लोग छतों पर से टकटकी लगाए और राष्ट्रीय नारे के साथ आंखों में पानी लिए इस कुर्बान नजदीक से देखने को आतुर दिखे। आगे-आगे पार्थिव शरीर और पीछे-पीछे जनसैलाब चल रहा था। मौजूद लोगों ने नम आंखों से इस वीर सपुत को अंतिम विदाई दी। इस शहादत को लेकर मेजर प्रीतम बिहार रेजिमेंट ने कहा कि यह बड़े सौभाग्य की बात है। ऐसा सौभाग्य सबको नहीं मिलता। ये शहादत हमारे लिए प्रेरणा है और जबाबी कार्रवाई के लिए भी हम तैयार हैं। उधर एयरफ़ोर्स के शहीद जवान नीलेश कुमार नयन को श्रद्धांजलि देने सुल्तानगंज के जहाजघाट पर राज्यसभा सांसद कहकशा प्रवीण, विधायक सुबोध राय, कमिश्नर आईजी, डीआईजी, डीएम एसएसपी सहित कई गणमान्य लोग पहुंचे थे। बेटे के शहीद होने पर पिता को गर्व ते था परन्तु उनके आंखों के आंसू थम नहीं रहे थे। बेटे की शहादत पर पिता तरुण सिंह को गर्व है लेकिन उनके आंसू थम नहीं रहे हैं। नीलेश के उधाडीह गांव में उनके घर पर भीड़ उमड़ पड़ी थी। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े नीलेश का जन्म 10 फरवरी 1986 को हुआ था। उन्होंने 2004 में वायुसेना की नौकरी ज्वाइन की थी। 2001 में उच्च विद्यालय कुमारपुर कटहरा से सेकेंड डिवीजन में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। 2001 में उच्च विद्यालय कुमारपुर कटहरा से सेकेंड डिवीजन में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। इसके बाद भागलपुर के परबत्ती में छोटे भाई नितेश कुमार के साथ रहकर आगे की पढ़ाई की। 2003 में हवेली खड़गपुर स्थित नरेंद्र सिंह कॅालेज से इंटर (साइंस) में प्रथम श्रेणी से पास किया। बड़े भाई नीलेश से प्रेरित होकर नितेश कुमार भी एक साल बाद आर्मी ज्वॉइन कर लिया। छोटी बहन प्रियंका की शादी रेलवे में चालक के पद पर तैनात मुकेश मेहता से हुई। किसान पिता दोनों बेटे के देशसेवा में जाने के बाद गृहस्थी संभाले हुए हैं। पोता नीलेश की शहीद होने की खबर सुनते ही 80 वर्ष की उम्र पार कर चुकी दादी पार्वती देवी कहती हैं कि 1968 में पति सौदागर सिंह की मौत होने के बाद पुत्र और पोता-पोती को देखते हुए शेष बची जिंदगी व्यतीत कर रही थी, लेकिन पोता नीलेश की शहादत ने जीने की इच्छा समाप्त कर दी। निलेश मई 2017 में 15 दिन की छुट्टी पर अपने गांव आए थे। दोस्त सुशांत कुमार ने बताया कि जब वह गांव में आते थे तो गांव के युवकों को शिक्षा प्राप्त कर देश के लिए कुर्बान होने और सेना में जाने के लिए प्रेरित करते थे। हमारा देश हरा भरा रहे यह सोच थी निलेश कुमार की। गांव के लोगों का कहना है कि नीलेश जब भी गांव आते थे पौधे लगाने और हरियाली लाने की बात करते थे। वह जब भी छुट्टी पर आते थे, 10-20 पेड़ अवश्य लगाते थे। गांव के महादेव कुमार, दीपक कुमार, सुशांत कुमार, गौरव कुमार और अरुण कुमार ने बताया कि निलेश काफी मिलनसार और शर्मीले स्वभाव के थे, लेकिन वह देश के लिए आज शहीद हुए हैं यह हमलोगों के लिए गर्व की बात है। हमलोगों को इस बात की कमी खटक रही है कि अब उनके जाने के बाद गांव का एक होनहार लड़का हमारे बीच से चला गया। हाल ही छुट्टी बिताकर चंडीगढ़ से श्रीनगर गए थे। निलेश की शादी वर्ष 2015 में छत्तीसगढ़ के रायपुर की मिनीषा के साथ हुई थी। दो अगस्त 2016 को बेटी हिमांशी ने जन्म लिया। वह बेटी व पत्नी के साथ चंडीगढ़ स्थित एयरफोर्स कैंप में रहते थे। विभागीय निर्देश पर जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आर्मी कैंप में प्रशिक्षण देने गए थे। वे परिवार के साथ वक्त बिताने के लिए चार अक्टूबर को चंडीगढ़ एयरफोर्स कैंप आए थे। इस दौरान उन्होंने अपने परिवार के साथ समय व्यतीत किए था। वहीं से छुट्टी बिताकर वापस आर्मी कैंप श्रीनगर लौट गए थे, जहां शहीद हो गए।
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