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बिहार
बाल सुधार या बाल अपराध अंजाम गृह? बबलू दूबे हत्या काण्ड में मोतिहारी का बालबंदी गिरफ्तार
By Deshwani | Publish Date: 15/5/2017 11:00:00 PM
बाल सुधार या बाल अपराध अंजाम गृह? बबलू दूबे हत्या काण्ड में मोतिहारी का बालबंदी गिरफ्तार

अपराधियों को दबोचने के बाद प्रेस को संबोधित करते बेतिया एसपी विनय कुमार सिंह।

-विनय कुमार परिहार।

बेतिया। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।

पूर्वी चम्पारण के बाल बंदियों का नाम मोतिहारी की सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी की छात्रा पर जानलेवा हमला करने के लिए पिछले दिनों बदनाम रहा है। हमला इसलिए ताकि वह हत्या काण्ड की गवाही न दे सके। लिहाजा अब यहां के रिमांड होम का डिमांड दूसरे जिलों में भाड़े के हत्यारे के रूप में भी होने लगा है। कहानी का प्ला‍ॅट थोड़ा फिल्मी है। इसमें इमोशन है। ड्रामा है। सस्पेंस है। थ्रिल और ट्रेजडी भी है। लेकिन एक्शन से भरपूर। इस फिल्मी स्क्रिप्ट का सारांश यह है कि मोतिहारी रिमांड होम का कैदी सूरज मेहता बंदीगृह से अनाधिकृत रूप से बाहर निकलता है। बेतिया में अपराधियों को पनाह देनेवाले विजय यादव के लौज में ठहरता है। फिर दूसरे दिन करीब 10:45 बजे बेतिया के माननीय न्यायालय परिसर में जेल से पेशी को आए कैदी दुर्दांत बबलू दूबे को अपने  सहयोगियों के साथ गोलीमार कर मौत की नीद सुला देता है। बिल्कुल आत्मघाती दस्ते की तरह। जहां चाकचौबंद सुरक्षा के बीच जान भी जा सकती थी। फिर वह मोतिहारी बंदी गृह पहुंचता है। जहां का मौहाल इमोशनल हो जाता है। जिससे वह डरकर बंदी गृह से फरार हो जाता है। अपने घर की शरण लेता है। फिर उसे पश्चिमी चम्परण की पुलिस बबलू दूबे हत्या कांड में दबोच लेती है। यह सिल्वर स्क्रीन की गाथा से हमें यह शिक्षा मिलती है-

खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।

रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥-रहीम

अर्थ-

दुनिया जानती है कि खैरियत, खून, खांसी, खुशी, दुश्मनी, प्रेम और मदिरा का नशा छुपाए नहीं छुपता है।

कहानी यह भी बताती है कि अपराधी कितना भी क्रूर हो। गलत कर्म चाहे जितना भी छुपाकर किया जाए। पापी की आत्मा उसके कुकृत्यों के लिए हमेशा कचोटती रहती है। अपराध बोध उसे सताता रहता है। हुआ भी यही। बेतिया एसपी विनय कुमार सिंह ने बताया कि  हत्याकांड को अंजान देने के बाद सूरज मेहता मोतिहारी बाल बंदी गृह पहुंचा। इधर अन्य बंदियों को बबलू दूबे हत्या कांड का पता चला। तब सभी बंदी सेंटिमेंटल(भावप्रवण) हाे गयें। कुछ बंदी रोने भी लगे। मतलब, अच्छी खबरें सबको हर्ष की अनुभूति कराती हैं और दु:ख की बातें सबों को हर्ट करती हैं। चाहे वह सज्जन हो या दुर्जन। अब सूरज को लगा कि हत्या कांड का भेद खुल जाएगा। वह पकड़ा जाएगा। फिर वह बंदीगृह से फरार हो गया। अपने घर जाकर छुप गया।

मोतिहारी सेन्ट्रल जेल में बंद अपराधियों ने करायी हत्या

एसपी ने बताया कि इस हत्या में जेल से राहुल सिंह,विकास सिंह और छोटाई सिंह ने खास ने खास तौर पर षड़यंत्र रचा। मोतिहारी के रिमांड होम से दो लोग एक सूरज मेहता दूसरा सुमन सौरभ इस हत्या में शामिल था। एसपी की माने तो जेल से और भी कुछ लोग इस योजना में शामिल थे,लेकिन फिलहाल इनकी निशानदेही पर शक है। उन्होंने बताया कि इस घटना में मोतिहारी जेल से फरार कुणाल सिंह ने हत्या की योजना बनायीञ। इसके अलावा मनीष सिंह, संजय सिंह सिगरेट,और रिपुसूदन समेत कई अन्य लोगों के नाम भी इस मामले में सामने आए हैं। मालूम हो कि यही कुणाल सिंह जिसने कई मीडिया हाउस को फोन करके इस घटना की जिम्मेदारी ली थी। पुलिस ने यह भी खुलासा कि या कि इस हत्याकांड में चार मोटरसाइकिलों का प्रयोग किया गया था। जिसमें एक अपाची एक ग्लैमर व अन्य दो मोटरसाइकिल शामिल थी।

11 मई को हुई थी मॉक ड्रिल, ट्रेनर था कुणाल

जब 6 तारीख को हत्या सफल न हो सकी तो उड़ान सिंह ने इसके लिए दूसरी तारीख व समय का शिड्यूल बना। उसने 11 मई को शूटरों को बजाप्ता ट्रेनिंग दी। मॉक ड्रिल कराया।  बताया कि कहां से गोली चलानी है और कैसे वहां से भागना है। विषम परिस्थित आए तो क्या करना है। इन सब बातों की फुल फूफ ट्रेनिंग कुणाण ने दी। 11 तारीख को इस ट्रेनिंग के बाद ये लोग पुनः विजय यादव के लॉज पहुंचे। इस क्रम में पहले तीन लोग आये जिसमें रिपुसूदन, सूरज मेहता और सुमन सौरव का नाम शामिल है। एसपी ने बताया कि बिजय यादव का बेतिया में कई लॉज हैं। 

लाॅज में अपराधी प्रवृति के छात्रों को प्रश्रय दिया जाता है। इसके और इसके परिवार का क्रिमिनल बैकग्राउंड रहा है। यादव दबंगई की बदौल विवादास्पद जमीने खरीदता है और दबंगई से उनपर कब्जा जमाकर लॉज बनवाता है।

कोर्ट परिसर से की जा रहा थी लाइव रिपोर्टिंग

एसपी श्री सिंह का कहना है कि इस हत्या का आखों देखा हाल विजय यादव के लॉज में बैठे आकाओं को दिया जा रहा था। जब हमलावरों को यह पता चला कि कोर्ट में बबलू दूबे पहुंच चुका है। तब उन्होंने नाश्ता किया। उसके बाद कोर्ट परिसर पहुंचकर उन्होंने कोर्ट के माहौल को बारीकी से अवलोकन किया। फिर बबलू दूबे को देखते ही उन्होंने हमला बोलने की सोची। माहौल को अपने पक्ष में न देख उन्होंने इंतजार किया। पहली पेशी के बाद बबलू दूबे कोर्ट से  निकल जब दूसरे न्यायालय में जाने को हुआ तब अपराधियों ने घावा बोल दिया। ताबड़तोड़  गोलियां चलानी शुरु कर दी।  गोली की शुरुवात सुमन सौरभ ने की। अंत की दो गोलियां सूरज मेहता ने मारी। इस घटना को अंजाम देने के बाद वे भीड़ का हिस्सा बन गए। भगदड़ व अपरातफरी का फायदा उठाकर वहां से आराम से भाग गये।

फिलवक्त यह कहानी प्रशासनिक चूक व इस साजिश के पीछे कई लोगों की क्षत्रछाया होने जैसे कई प्रश्न भी खड़ा कर रही है। इस हत्याकांड के पर्दाफाश होने के बाद आम व खासजन यह प्रश्न करने  लगे हैं कि मोतिहारी में बाल सुधार गृह है या अपराध अंजाम गृह‍?

 
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