बिहार
देवोत्थान एकादशी से मांगलिक कार्य का शुभारंभ - आचार्य शिवेन्द्र
By Deshwani | Publish Date: 2/11/2022 11:00:00 PMआचार्य शिवेन्द्र की फाइल फोटो- देशवाणी
बेतिया। देवोत्थान एकादशी कार्तिक शुक्ल एकादशी को होता है। इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। इसका अभिप्राय है कि हरि शयनी एकादशी से चार माह तक देवताओं का शयनकाल होता है। जिसमें विवाहादि मांगलिक कार्य वर्जित माना जाता है।
आचार्य शिवेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 4 नवम्बर शुक्रवार को किया जायेगा। और पारण 5 नवम्बर को गन्ने की रस से होगा।
उन्होंने बताया कि लोगों में कई तरह के भ्रामक लोकोक्ति है शुक्रवार को एकादशी व्रत नही करना चाहिए। जबकि भागवत महापुराण और विष्णु आदि पुराणों में इस तरह के उल्लेख प्रमाणित तौर पर नही मिलते। एकादशी को व्रत राज कहा जाता है अतः इसमें तिथि का महत्व है न कि वार का।
आचार्य ने बताया कि एकादशी के एक दिन पूर्व आंवला सहित जल का स्नान कर भोजन में आवलां रोटी एवं कद्दू का सेवन एकबार ही करना चाहिए। अगले दिन भगवान का पूजन कर ऋतु फल जैसे शकरकंद सिंघाङा सूथनी आवलां आदि का फलाहार दोपहर में कर रात्रि जागरण करना चाहिए। इस दिन तुलसी विवाह कर भगवान को प्रसन्न करना चाहिए।
आचार्य ने बताया कि अगले वर्ष दोमास लगने से एकादशी व्रत का उठावन या उद्यापन नही होगा। अतः इसी वर्ष इसे करना शुभप्रद होगा।