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22 को धनतेरस और 24को दीपोत्सव - आचार्य शिवेन्द्र
By Deshwani | Publish Date: 19/10/2022 8:25:08 AM
22 को धनतेरस और 24को दीपोत्सव - आचार्य शिवेन्द्र

आचार्य शिवेन्द्र की फाइल फोटो- देशवाणी।

बेतिया। अमित कुमार गुड्डू। धनतेरस हर साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी​ तिथि को मनाते हैं। इस साल धनतेरस कब है? इस पर त्रयोदशी तिथि के प्रारंभ और समापन के समय के कारण असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। आचार्य शिवेन्द्र से जानते हैं कि इस साल धनतेरस 22 अक्टूबर को है या फिर 23 अक्टूबर को।


आचार्य शिवेन्द्र का कहना है कि इस वर्ष धन्वंतरि जयन्ती धनतेरस शनिवार 22अक्टूबर को होगा। उदयकालिक द्वादशी के बाद शाम 4.33 पर त्रयोदशी लग रहा है। आचार्य शिवेन्द्र पाण्डेय ने बताया है कि धनतेरस और दीपावली दोनों निशीथ ब्यापिनी पर्व है इसमें रात्रि काल में प्राप्त तिथि ही मान्य की जाती है। इसी आधार पर दीपावली भी 24 अक्टूबर सोमवार को मनाया जायेगा। 

    आचार्य ने बताया कि मान्यता है कि धनतेरस को भगवान धन्वंतरि अमृतौषधि सिचिंत कर जीवों पर महति कृपा प्रदान करते हैं। इस दिन लोग धनकारक देव भगवान कुबेर सहित लक्ष्मी गणेश का समर्चन कर धन धान्य समृद्धि की कामना करते हैं। धनतेरस के दिन खरीदारी करना अत्यन्त शुभ होता है।


 इस वर्ष मेष सिंह वृश्चिक धनु मीन राशि के जातको को सुवर्ण अथवा पंचधातु की सामग्री वृष कर्क तुला को रजत या स्टील की सामग्री मिथुन कन्या मकर कुंभ राशि के जातकों को कांस्य द्रव्य की सामग्री खरीदनी चाहिए। गल्ला या तिजोरी में लाल या पीले वस्त्र में चित्ती कौङी गोमती चक्र गांढ हल्दी धनिया पीली सरसों कमलगट्टा चांदी सिक्का को पोटली में बांधकर रखने से कुबेर देव प्रसन्न होकर धन धान्य से पूर्ण करते हैं।

      

आचार्य ने बताया कि दीपावली के दिन द्वार पर रंगोली सजाकर पहले देवताओं को दीप अर्पण कर घर को दीपों से सजाना चाहिए। इससे घर में सुख शांति समृद्धि सहित सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस वर्ष 25 तारीख  मंगलवार को सूर्यग्रहण सायं 4.42 पर लगने से सूतक बारह घंटा पूर्व में लग जायेगा अतः दीपावली के भोर में 4.42के पूर्व सूप बजाकर दरिद्रता का निसारण और लक्ष्मी का पदार्पण करना होगा।

 

आचार्य ने बातचीत के क्रम में बताया कि इस पक्ष में तीन मंगलवार अमावस्या और सूर्य ग्रहण तथा तुला राशि की सूर्य संक्रांति सभी मंगलवार को ही हो रहा है जो किसी भौगोलिक तथा दैवी प्राकृतिक घटना से धन धान्य से जन धन की क्षति राजनीतिक तथा प्रशासनिक अस्थिरता किसी विषैले रोग या पदार्थ से कष्ट संभव है। युद्धरत देशों में विध्वंस निर्णय हो सकता है। अतः विघ्नविनाशनाय भगवान गणेश सहित लक्ष्मी की स्तुति समर्चन करने सर्वत्र कल्याण होगा।


खरीदारी एवं पूजन काल :-

कुंभ लग्न - 2.06 से 3.38 दिन

गोधूलि :-5.05से 6.35 सायं

अमृतकाल :-6.44से 8.41 रात्रि

सिंहलग्न :-1.12से3.26 भोर

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