बेतिया के लाल डॉ. ज्वाला प्रसाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली के रजिस्ट्रार नियुक्त हुए
बेतिया/अवधेश कुमार शर्मा। पश्चिम चंपारण जिला अंतर्गत नौतन प्रखण्ड के जगदीशपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत कठइया बिशनपुरा ग्राम के निवासी हरि माधव प्रसाद के सुपुत्र डॉ. ज्वाला प्रसाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली में रजिस्ट्रार (कुलसचिव) के पद पर नियुक्त हुए हैं। इससे पूर्व डॉ ज्वाला प्रसाद महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में उप कुलसचिव,(डिप्टी रजिस्ट्रार) जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय ,नई दिल्ली में ओएसडी एवं दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक कुलसचिव(असिस्टेंट रजिस्ट्रार) पद पर कर्तव्य निर्वहन कर चुके हैं। ज्वाला प्रसाद की प्रारंभिक पढ़ाई सरस्वती विद्या मंदिर बरवत सेना, बेतिया से हुई।
उन्होंने प्लस टू साइंस कॉलेज पटना से किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से बीए. एवं एमए.की शिक्षा ग्रहण किया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से हीं पीएचडी किया। उसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य प्रारंभ किया। प्रारंभ से बहुत परिश्रमी एवं मेधावी रहे डॉ प्रसाद ने सभी पद पर विधिवत कर्तव्य निर्वहन किया हैं। विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक हमेशा टॉप करते रहे हैं। उनके पिताजी उनके सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताते हैं कि वे एक साधारण कृषक हैं, पुत्र की सफलता बहुत गर्व का विषय है।
पुत्र कर्तव्य परायण बना रहे, ईश्वर की कृपा है। डॉ ज्वाला प्रसाद कुल सचिव पद पर नियुक्त हुए यह जिला के लिए गर्व की बात है। डॉ प्रसाद एनएएसडी के सबसे युवा रजिस्ट्रार बनकर एक और नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उनके इस सफलता पर विद्यालय परिवार में प्रसन्नता है। उनकी सफलता पर गोदावरी देवी रामचन्द्र प्रसाद सरस्वती विद्या मंदिर पुरानी बाजार नरकटियागंज के प्रधानाचार्य नागेन्द्र कुमार तिवारी ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि ज्वाला प्रसाद ने सम्पूर्ण विद्या भारती को गौरवान्वित किया है। उनकी सफलता से प्रेरित होकर छोटे भाई राजन कुमार वर्तमान में मोतिहारी में सिविल जज हैं।
इस चम्पारण के कई अति सामान्य परिवार के बच्चों को अपने सानिध्य मे रखे जो आज शीर्ष पदो पर हैं। विदित हो कि इन दोनों भाईयों ने संस्कृत को गौरवान्वित किया है, बहुत से लोगों में यह धारणा है कि संस्कृत पूजा पाठ कराने की भाषा है। परन्तु दोनों भाई संस्कृत प्रतिष्ठा, स्नातकोत्तर तथा पीएचडी. कर संस्कृत शिक्षा को प्रसिद्धि दिया हैं। वास्तव में दोनों भाइयों ने अपने परिश्रम से यह साबित किया है कि सच्ची लगन एवं इमानदारी से परिश्रम किया जाए तो सफलता निश्चित मिलती है। ज्वाला प्रसाद युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।