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बिहार
गीतों के राजकुमार गोपाल सिंह नेपाली की 57 वीं पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि
By Deshwani | Publish Date: 17/4/2020 10:48:56 PM
गीतों के राजकुमार गोपाल सिंह नेपाली की 57 वीं पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि

  जिला के कलमकार व साहित्यकारों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया

 
बेतिया देशवाणी न्यूज़ नेटवर्क।पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया की मिट्टी के लाल "गीतों के राजकुमार" स्वाधीनता आंदोलन के अनन्य कलम के सिपाही कविवर गोपाल सिंह नेपाली की 57वीं पुण्यतिथि पर उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि देने की खबर विभिन्न कलमकारों ने दी
 
ज़िंदगी की आख़िरी सफ़र, कवि सम्मेलन से नाता
 
 सनद रहे कि 17 अप्रैल 1963 को नेपाली जी, जीवन के अंतिम कवि सम्मेलन से कविता पाठकर लौटने के क्रम में भागलपुर रेलवे स्टेशन स्थित प्लेटफार्म संख्या 02 पर हृदय गति रुकने से अनन्त सफ़र को प्रस्थान कर गए। कविवर गोपाल सिंह नेपाली की कलम स्वाधीनता के लिए अंग्रेजों के विरूद्ध शंखनाद करते रहे। स्वाधीनता के उपरांत वे आजीवन वर्तमान व्यवस्था के प्रति  कविता व गीतों के माध्यम से संघर्ष करते रहे। 
 
हवा के विरुद्ध, लहरों से अठखेलियाँ थी पसंद
 
पश्चिम चंपारण जिला के 'लाल' कविवर गोपाल ने हमेशा हवा के विरूद्ध, लहरों के विपरीत हिंदी साहित्य, पत्रकारिता एवं फिल्म उद्योग में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। छायावादेत्तर काल के विशिष्ट कवि एवं गीतकार कविवर गोपाल सिंह नेपाली ने भारत चीन युद्ध 1962 के समय विभिन्न कविताओं की रचना कर, कविताओं से भारतीय सैनिकों ,आम जनमानस एवं भारतीय सत्ता को झकझोर दिया। 
 
सादा जीवन उच्च विचार पर आजीवन चलते रहे
 
 कविवर गोपाल सिंह नेपाली ने सम्पूर्ण जीवन सादगी के बिताया, आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपनी कलम का सौदा नहीं किया। उन्होंने जीवन मूल्यों एवं आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया। 
 
महात्मा गाँधी के सत्य अहिंसा से प्रेरित रहे
 
 
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्य अहिंसा एवं आपसी प्रेम के मार्ग पर चलते हुए 1944 में फिल्म जगत के जाने-माने सेठ तुलाराम जालान से मुंबई मे मुलाकात के बाद विभिन्न फिल्मों के लिए गीत लिखा। सर्वप्रथम मजदूर फिल्म के लिए गीत लिखा। 1944 से 1962 तक बॉलीवुड के लगभग 60 से अधिक फिल्मों में 400 से अधिक गीत लिखने वाले चंपारण के पहले गीतकार बने। उन्होंने अपनी जिजीविषा रोकी नही अपितु गीतकार के साथसंगीतकार भी बने। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में पंडित चतुर्भुज मिश्र, प्रो ओमप्रकाश पण्डित, अरुण गोपाल, जय किशोर जय, अवधेश कुमार शर्मा,  विनोद राव,आनन्द पण्डित, चन्द्रिका राम प्रशांत सौरभ, डॉ जगमोहन कुमार मुख्य हैं।
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