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ध्यान दे सरकार, शिक्षको के परिवार कोरोना नहीं, भूख से मरेंगे : शिक्षक संघ
By Deshwani | Publish Date: 14/4/2020 8:56:44 PM
ध्यान दे सरकार, शिक्षको के परिवार कोरोना नहीं, भूख से मरेंगे : शिक्षक संघ

वर्तमान परिवेश में सरकार को शिक्षक नेताओ से वार्ता कर पहल करने की आवश्यकता है

बेतिया
।अवधेश कुमार शर्मा। बिहार शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य-सह-अनुमंडल सचिव (शिक्षक संघ,बिहार) वीरेन्द्र कुमार सिंह ने नियोजित शिक्षकों के वेतन को लेकर सरकार के रवैया तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि सूबा ए बिहार के लगभग साढ़े चार लाख नियोजित असहयोगात्मक रवैया के कारण भुखमरी के कगार पर हैं।

पूरे राज्य में कोरोना वायरस से एक व्यक्ति की मौत है, जबकि बिहार सरकार की हठधर्मिता एवं उदासीन रवैया के कारण 43 नियोजित शिक्षकों की मौत की खबर है। श्री सिंह ने शिक्षा मंत्री के उस बयान की निंदा की है जिसमे उन्होंने सामान्य स्थिति होने पर नियोजित शिक्षकों से वार्ता होगी। अभी नियोजित शिक्षक विद्यालय में योगदान करें। सभी विद्यालय अभी बंद है,  फिर योगदान कहां करें और बिना वार्ता के योगदान कैसे करें, यह यक्ष प्रश्न है?  हड़ताल में रहते हुए सभी जियोजित शिक्षक कोरोना के जंग में सरकार के साथ खड़ें है।

कोरोना को हारने में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यदि सरकार की मंशा व नियत ठीक रहती तो वर्तमान दौर में नियोजित शिक्षकों से अविलंब वार्ता कर, शिक्षकों की मांगों को गंभीरता से लेती। सामान्य स्थिति राज्य के होने के बाद ही इसे लागू करती। सरकार वार्ता कर, कम-से-कम अभी सिर्फ घोषणा तो कर सकती है ? एक तरफ जहां शिक्षक अपनी जान की बाजी लगा कर के कोरोनटाईन सेंटरों पर जो विभिन्न विद्यालयों में बनाये गए हैं, बड़ी ही मुस्तैदी के साथ कोरोना जैसे महामारी से लड़ने में सरकार का साथ दे रहें है।

वैसे “लॉक डाउन” में सभी विद्यालय  बंद है। इसलिए नियोजित शिक्षक  “लॉक डाउन” का पालन करते हुए। आवश्यकतानुसार जरूरतमंदों की मदद करने में सरकार के कदम-से-कदम मिला कर कोरोना को हराने की जंग के साथ खड़े हैं। एक तरफ केंद्र सरकार के आदेशानुसार किसी भी कर्मी का वेतन या उस पर करवाई नहीं करनी है। इसके लिए आदेश जारी किया गया है,  दूसरी तरफ बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों का वेतन भी बंद करने का आदेश दिया है।

जिससे सभी शिक्षक भुखमरी के कगार पर हैं। अपनी मांगों को रखना लोकतंत्र में  सबका अधिकार है। बिहार सरकार अपने शक्ति के बल पर इस मांगों को दबाना चाहती हैं एवं शिक्षकों पर दबाव बनाना चाह रही है। यह कृत्य शिक्षको के लोकतान्त्रिक अधिकार का हनन नही तो क्या है?  इसका दूरगामी परिणाम ठीक नहीं दिख रहा हैं। इस विकट परिस्थिति में बिहार सरकार अविलंब  नियोजित शिक्षकों के मांगों पर विचार नहीं करती है तो नियोजित शिक्षकों के परिवार के लोग कोरोना से नहीं, अलबत्ता भूख से अवश्य मर जायेंगे।


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