बिहार
बेतिया के ऐतिहासिक सागर पोखरा में लाखों की मछलियाँ फिर मरी, सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं
By Deshwani | Publish Date: 26/3/2020 11:21:16 PMबेतिया। अवधेश कुमार शर्मा। पश्चिम चम्पारण जिला प्रशासन और बेतिया के लोग हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज़ पर क़दम बढ़ाए जा रहे हैं। विगत एक दो वर्ष की भाँति इस वर्ष भी लाखों की मछलियां बर्बाद हो गयी। आखिर इस बर्बादी का जिम्मेदार कौन है? बेतिया राज ऐतिहासिक सागर पोखरा में गुरुवार की सुबह अचानक लोगों ने देखा कि मछलियाँ पोखरा में ऊपर मरी पड़ी है। सागर पोखरा में लाखों की लागत से पाली गई मछलियो को मरी देखकर लोगों के होश उड़ गए।
इस अप्रत्याशित घटना को लेकर मत्स्यजीवी महामंत्री अभिषेक कुमार ने बताया कि पोखरा अवस्थित किनारे पर बसी घनी आबादी की जल निकासी, किनारे बसे लोगों की नाली का पानी, पोखरा के पूरब स्थित बड़े नाला का के माध्यम से जिससे शहर के वर्जित जल के तालाब में प्रवाहित होने से लाखों की मछलियां मर गई। जिससे मत्स्य विभाग को लाखों रुपये की राजस्व क्षति हुई। अभिषेक कुमार ने बताया कि पोखरा के आसपास रहने वालों का कचरा पोखरा में डाला जाता है। इतना ही नहीं नगर परिषद ने एक भी डस्टबिन की व्यवस्था सागर पोखरा के चारों तरफ नहीं की गई है। जिससे वहां के चारो तट पर डस्टबीन की व्यवस्था नहीं है। नगर परिषद का स्वच्छ भारत अभियान सागर पोखरा तट पर असफल दिखता नज़र आ रहा है। नगर परिषद बेतिया स्वच्छता अभियान के नामपर जहां लाखों रुपये पानी की तरह बहा रहा है। वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना वायरस से जूझ रहा है, अगर इस पोखरा का निर्धारण किया जाता तो शायद कुछ कल्याण हो सकता।
उन्होंने बताया कि इसमें एक भी मच्छलिया जीवित नहीं है। सागर पोखरा ठेकेदार शंकर प्रसाद पोखरा की सफाई करवा रहे है। नगर परिषद से इसमें कोई सहयोग नहीं कर रहा है। विगत वर्षों में कई बार सागर पोखरा में लाखों की मछलियां इसी प्रकार मारी गई।लेकिन विभाग अभिलेखों में खानापूरी कर, पोखरा की सुरक्षा व मछलियों की बचाव का कोई उपाय नहीं करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पोखरा में नाला के पानी से अमोनिया लेवल (स्तर) बढ़ने व अन्य जहरीली गैस उत्पन्न होने के कारण मछलियाँ मर जाती है।