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बिहार
लॉक डाउन के अंतर्गत सामानों की कालाबाजारी चरम सीमा पर, उपभोक्ता परेशान
By Deshwani | Publish Date: 24/3/2020 8:59:52 PM
लॉक डाउन के अंतर्गत सामानों की कालाबाजारी चरम सीमा पर, उपभोक्ता परेशान

 बेतिया देश वाणी बिहार सरकार ने वैश्विक आपदा कोरोना वायरस से सुरक्षा व बचाव को लेकर "लॉक डाउन" की घोषणा होते ही जमाखोरों की पौबारह हो गई। जमाखोरों की मुनाफाखोरी की वज़ह से बाजार में खाद्य सामग्रियो की कालाबाजारी शुरू हो गई है। खाद्य सामग्रियों की क़ीमतें अनियंत्रित हो गयी है, विशेष तौर पर हरी सब्जियां, दाल, तेल,चावल, आटा, प्याज व अन्य खाद्य सामग्री व अन्य वस्तु बाजारों में बढ़े हुए दर पर मिल रही हैं। थोक विक्रेता खाद्य सामग्री नहीं आने का बहाना बनाकर सामानों को ऊंची कीमत पर खुदरा विक्रेताओं को बेची जा रही है। जिससे खुदरा विक्रेताओं को ऊँची कीमत पर बेंचने की विवशता और उपभोक्ताओं को महंगे कीमत में खरीदने की मज़बूरी है। जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का इस पर ध्यान नहीं दे रही है। जिसके चलते मुनाफाखोरी व कालाबाजारी का बाजार गर्म हो रहा है। जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन मुनाफाखोरी एवं कालबाजारी करने वाले व्यवसायियों पर पैनी नजर रखें, छापामारी भी जारी रखें। 

 
 
 
जिससे उपभोक्ताओं को सही कीमत पर सामान की उपलब्धता आसानी से हो सके। अगर प्रशासन इस पर ध्यान नहीं देता है, तो उपभोक्ता बदहाल और व्यवसाई मालामाल होंगे। आवश्यक वस्तुओं की दुकानों के खुलने और बंद रखने की समय सीमा निर्धारित की जाए, जिससे निर्धारित समय सीमा के अंदर उपभोक्ता अपने सामानों को खरीद कर अपने घरों मे रहे, अन्यथा उपभोक्ताओं के माध्यम से कोरोना का विस्तार को नियंत्रित कर पाना प्रशासन के बस की बात नही रह जायेगी।बताया जाता है कि बेतिया कृषि उत्पादन बाजार समिति और मीना बाजार, बगहा, चनपटिया नरकटियागंज और रामनगर में जमाखोरी बढ़ गयी है। 
 
 
 
थोक विक्रेताओं ने खाद्य सामग्रियों की कीमतें स्वतः बढ़ा दिया है। उधर जिला के विभिन्न बाज़ारो में आलू, प्याज़, फूलगोभी, बन्दगोभी, मटर, कटहल, परवल, भिण्डी, बिन्स, बोड़ी, बैगन, टमाटर, हरी मिर्च, शिमला मिर्च और हरे पत्ते वाली साग(साक), पालक व अन्य की कीमते आसमान छूने लगी है। इस बावत बताया जाता है कि थोक विक्रेता खुदरा विक्रेताओं से मनमाने मूल्य वसूल रहे हैं, जिसके कारण बाज़ार में खाद्य सामग्री की कीमतें आसमान छू रही हैं। सबकुछ जानते हुए जिला प्रशासन अनजान बना हुआ है और आमजन व उपभोक्ता विवश हो महँगे मूल्य पर सामग्री खरीदने को बाध्य हैं। ऐसा नहीं कि प्रशासन इससे अनभिज्ञ है, अलबत्ता सब जानकर अनजान बना हुआ है।
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