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बेतिया
बेतिया में हिन्दू जागरण मंच की सराहनीय पहल,नि:शुल्क संस्कृत पाठशाला का शुभारंभ
By Deshwani | Publish Date: 10/2/2020 7:51:51 PM
बेतिया में हिन्दू जागरण मंच की सराहनीय पहल,नि:शुल्क संस्कृत पाठशाला का शुभारंभ

बेतिया। अवधेश कुमार शर्मा। जिला मुख्यालय बेतिया नगर क्षेत्र अंतर्गत जोड़ा शिवालय प्रांगण में हिन्दू जागरण मंच ने अद्वितीय पहल प्रारम्भ किया है। 9 फरवरी को देश की संस्कृति, सभ्यता और धर्म चेतना को जागृत करने के उद्देश्य से निःशुल्क संस्कृत शिक्षा प्रारम्भ किया है। कम्प्यूटर के संस्कृत ग्राह्यता को देखते हुए, बच्चों व बड़े को संस्कृत शिक्षा आवश्यक है।

बच्चों के उत्कृष्ट उज्जवल भविष्य को देखते हुए हिन्दू जागरण मंच ने एक नई पहल की  है। हिंदू जागरण मंच बेतिया पश्चिमी चंपारण के सदस्यों ने आशुतोष कुमार वर्णवाल के नेतृत्व में जोड़ा शिवालय प्रांगण में सप्ताहिक नि: शुल्क संस्कृत पाठशाला का शुभारंभ किया। जहां प्रोत्साहित करने योग्य संख्या में शिशिक्षु पहुँच रहे हैं। संस्कृत विषय में रुचि रखने एवं वैदिक मंत्रोचार को उत्सुक बच्चे व अन्य लोग पाठशाला पहुँचने लगे हैं।


इस मंत्रोच्चार व संस्कृत भाषा की शिक्षा देने के लिए मुजफ्फरपुर के संस्कृत शिक्षक परमानंद दुबे उर्फ मंटू पहुंचे। उन्होंने हिन्दू जागरण मंच विशेषकर आशुतोष बर्णवाल की भूरि भूरि प्रशंसा की। इस संस्कृत शिक्षा पर जितनी प्रकाश डाली जाए वह कम है। पौराणिक एवं धार्मिक चेतना को जगाने वाली संस्कृत विषय काफी सरल विषय हैं। इसे अगर लगन, आत्ममंथन से ज्ञान अर्जित किया जाता है।

जन-जन में संस्कृत शिक्षा का विस्तार किया जाय तो भाषा का भविष्य सुखद व सफल सिद्ध होगा। हमारे पूर्वज एवं वेद ग्रंथों में देखा जाए तो देश का प्रथम विषय संस्कृति है। जिसे पहले के ऋषि मुनि द्वारा रचित जितनी भी रचनाएं एवं वेदों में मंत्रोचार दर्शाए गए हैं, सभी संस्कृत भाषा में दर्शाए गए हैं। पूर्व में राजा, महाराजा एवं वेद गुरु शुद्ध संस्कृत की बोली बोली जाती रही।

इसलिए अपनी सभ्यता व संस्कृति को बचाने के लिए हमें संस्कृत ऐसे विषय को उच्च स्तर पर ले जाने को उत्सुक है। इसका प्रचार -प्रसार बहुत आवश्यक है, जिससे नगर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस विषय पर विशेष रूप से ज्ञान देना होगा। जिसका प्रारंभ किया जा रहा है, इस संस्कृत पाठशाला को "हिंदू जागरण मंच" संचालित कर रहा है। संस्कृत भाषा से आजीविका चलाने व ज्ञान बाँटने की बात करने वालों को निःशुल्क शिक्षादान की ओर अग्रसर होकर देवभाषा को जनभाषा बनाने की दिशा में संकल्प लेने की आवश्यकता है।

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