बेतिया
मानव तस्करी दुनिया भर में एक गंभीर समस्या, इससे निपटने की आवश्यकता
By Deshwani | Publish Date: 7/2/2020 8:53:58 PMवन, पृथ्वी, पर्यावरण व प्रकृति ईश्वरीय उपहार, इसकी रक्षा सबका कर्तव्य : काज़ी नेसार
बेतिया।अवधेश कुमार शर्मा। "मौलाना अबुल हसन अली नदवी एजुकेशनल एण्ड वेल्फेयर ट्रस्ट बेतिया" ने मानव तस्करी रोकने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। "काजी विमेन इन्स्टीच्युट" पिपरा, कचहरी टोला योगपट्टी के प्रांगण में किया गया। जिसमें ट्रस्ट एवं काजी विमेन इन्स्टीच्युट के सेक्रेटरी काजी नेसार अहमद कासमी, प्रधानाचार्य मुफ़्ती सेराजुद्दीन कासमी, स्टाफ और समाज के सभी वर्गों के नौशाद आलम, मुबारक अंसारी, मनान अंसारी, इब्रहीम अंसारी शामिल हुए।
जिसमें सेक्रेटरी काजी नेसार अहमद कासमी ने कहा मानव तस्करी दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। यह एक ऐसा अपराध है, जिसमें लोगों को उनके शोषण के लिए खरीदा एवं बेचा जाता है। मानव तस्करी का सबसे आम रूप यौन शोषण है। यौन शोषण की शिकार मुख्यरूप से महिलाएँ एवं लड़कियाँ होती हैं। रिपोर्ट बताते हैं कि महिला तस्करी का अनुपात सबसे अधिक है, जिसमें महिलाएँ ही महिलाओं की तस्करी करती है। मानव तस्करी का दूसरा सबसे आम रूप बालश्रम है।
दुनिया भर मे तस्करी के शिकार लोगों में से लगभग 20% नाबालिक है। दूसरी ओर उपर्युक्त संस्था ने जलजीवन हरियाली के तहत वृक्षा रोपण का कार्यक्रम किया। जिसमे काजी विमेन इन्स्टीच्युट पिपरा कचहरी टोला के सेक्रेटरी ,प्रधानाचार्य एवं सभी शिक्षक सभी बच्चियाँ एवं समाज के कछ लोग इब्रहीम अंसारी ,आलम अंसारी ,नौशाद आलम शामिल रहे। काजी नेसार अहमद कासमी ने कहा कि हरा भरा बनाए रखने के लिए आज़ादी के बाद से ही वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है की वह अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगाए। सूरत ए हाल है कि स्वार्थी मानव पेड़ तो काटता गया, अलबत्ता पेड़ लगाना भूल गया।जिससे यह समस्या इतनी भयंकर हो गई है। बिना परमाणु युद्ध लड़े ही अपनी कब्र मानव खोद रहा है। अपने रचे गए वातावरण में स्वयं पल रहा मानव बेज़ार है। वन, पृथ्वी, पर्यावरण ईश्वर का जीव को दिया अनमोल तोहफ़ा है, इसे अमूल्य धरोहर समझकर इसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी सबकी है। उनकी रक्षा करना एवं समानता बनाए रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। आने वाली पीढ़ी व सन्तति के जीवन को बचाने के लिए हमे वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण करना ही होगा।