बिहार
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की यादों को संयोजने की योजना: डॉ देवरे
By Deshwani | Publish Date: 23/1/2020 6:47:36 PMबेतिया। अवधेश कुमार शर्मा। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अनन्य योद्धा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने चम्पारण की धरती से अंग्रेजों के विरुद्ध बिगुल सन् 1939 में फूँका। उन्होंने ऐतिहासिक बड़ा रमना मैदान में हजारों की संख्या में शामिल हुए क्रांतिकारियों में क्रांति की अलख जगाया था। नेताजी के नाम से मशहूर सुभाष चंद्र बोस बेतिया शहर के गुरु चरण बनर्जी के घर पहुंचे क्योंकि उनके ससुर अरविन्द मुखर्जी नेताजी के बचनप के मित्र थे।
गुरुचरण बनर्जी बेतिया कॉलेज में डिमांस्ट्रेटर से सेवानिवृत्त हुए थे। अलीपुर बम कांड में दोनों जेल भी गये, जेल से छूटने के बाद 1927 में बेतिया विपिन स्कूल में अरविन्द मुखर्जी सहायक शिक्षक के पद पर योगदान दिये, जबकि नेताजी जेल से छूटने के बाद बर्लिन चले गये। बर्लिन से लौटने के बाद उन्होंने अपने बचपन के मित्र अरविन्द की खोज-खबर ली।
अरविन्द जी का पता चला तो वे फरवरी, 1939 में मित्र के घर बेतिया पहुंचे और क्रांतिकारियों में क्रांति की अलख जगायी। विगत वर्ष जब जिला पदाधिकारी, डाॅ. निलेश रामचंद्र देवरे को इस बात की जानकारी मिली कि नेताजी ने बेतिया में अंग्रेजों के विरुद्ध आजादी का अलख जगाया था। उसके बाद डॉ देवरे ने नेताजी के बचपन के मित्र के घर पर गये और नेताजी से जुड़ी यादों को संजोया। कई यादगर तस्वीरों को अपने साथ लेकर आये ओर आजादी की लड़ाई में शामिल हुए बड़े स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संयोजने के लिए योजना भी बनायी।