ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
बिहार
नागरिकता संशोधन कानुन वापस लो: भाकपा माले
By Deshwani | Publish Date: 19/12/2019 11:36:33 PM
नागरिकता संशोधन कानुन वापस लो: भाकपा माले

बेतिया अवधेश कुमार शर्मा। भारत सरकार के नए नागरिकता संशोधन कानून व नागरिकता पंजीकरण कानून के विरुद्ध वामदलों का राज्यव्यापी बंद के आह्वान पर गुरुवार को भाकपा माले कार्यकर्ताओं ने बेतिया में प्रतिरोध मार्च निकाला, दूसरी ओर नरकटियागंज के दिउलिया स्थिति पार्टी कार्यालय पर से विरोध मार्च निकाला जो शहर के मुख्य मार्ग होते हुए शहीद भगत सिंह चौक के रास्ते कृषि हजार पहुँचा और सभा में तब्दील हो गया हो गया, जहाँ सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले जिला नेता कामरेड मुख्तार मियां ने कहा की देशव्यापी प्रबल जन विरोध के बावजूद नागरिकता संशोधन विधेयक अब कानुन बन गया है, और यह कानुन पुरी तरह संविधान की मौलिक संरचना तथा अजादी के आन्दोलन के सम्पुर्ण सिद्धांत के खिलाफ है, देश का संविधान अपने नागरिकों को एक समान प्रदान करता है और इसमें कोई भेदभाव नहीं कर सकता है, लेकिन मोदी-शाह का फरमान धर्म के नाम पर नागरिकता तय करता है, इसलिए यह घोर संविधान विरोधी है। सभा को सम्बोधित करते हुए माले जिला कमेटी सदस्य व निकाय कर्मचारी महासंघ के जिला संयोजक कामरेड रवीन्द्र कुमार रवि ने कहा कि असम में एनआरसी का अनुभव भाजपा के लिए पुरी तरह नकारात्मक रहा है। 

 
 
 
जहाँ बड़ी तदाद में हिन्दू एनआरसी से बाहर रह गए, और अब तक असम के डिटेंशन कैम्प में 28 लोगो की मौते हो चुकी हैं और इसी कारण हिन्दू-मुस्लिमों के बीच एकता बनना शुरु हो गया है और अपना दांव उलटा देख मोदी शाह की जोड़ी यह कानुन लेकर आयी है तथा असम के भयावह परिणाम के बाद वहाँ पर आंदोलनरत जनता को बुलेट के दम पर सरकार आवाज को दबाने पर तुली है, जो हिटलर के शासनकाल के याद दिलाता है। जिसे भारतीय जनता किसी भी कीमत पर सहन कर सकती।
 
 
देश को बांटने वाला कानून सीसीए को वापस नही लिया जायेगा तबतक आनदोल जारी रहेगा। माले नरकटियागंज प्रखंड कमेटी नेता कामरेड केदार राम ने कहा  कि धार्मिक भेदभाव पर आधारित नागरिकता संशोधन कानुन की सर्वाधिक मार देश के आम अवाम और सभी जाति के गरीब मजदूर, दलित व अल्पसंख्यकों पर पडने वाल है और इस कानून के तहत नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी सरकार को न रह कर हमारी खुद की होगी। जिन गरीबों के पास बीपीएल में नाम जोडवाने के लिए कागजात नही होते, उनसे 1950 के दास्तवेज मांगा जायेंगा। 
 
 
इससे सहजता के साथ अंदाजा लागा सकते हैं कि देश मे क्या होने वाला है? जिससे यह साबित होता है की यह काला कानुन देश के करोडों नागरिकों के नागरिकता विहीन करने के अलावा कुछ नही है, जबकि नागरिकता से ही हमारे सारे अधिकार बनते हैं। संविधान प्रदत्त हमारे अधिकार छीने जायेंगे, हद तब हो गई बार बार धर्मनिरपेक्षता के राग अलापने वाले नीतीश कुमार की पोल खुल गई एवम् बड़ी बेशर्मी से संविधान विरोधी ताकतों के साथ खड़े हुए और संसद में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया। नीतीश कुमार आज पुरी तरह से फ़ासीवादी सम्प्रदायिक ताकतो आरएसएस की गोद में कुद कर जा बैठे, विरोध मार्च व बंदी में भाकपा के खलिकुजम्मा, संत साह, चन्द्रभूषण सिंह व लक्षण राम तथा भाकपा माले के जिला नेता लाल जी यादव, जाजुल अंसारी, नजरें आलम, दिनेश राम, बागमती देवी, सरोज देवी, ललीता देवी, महंत दास, सेराजुल मियां व मीडिया प्रभारी यासिर अरफ़ात समेत सैकड़ो के संख्या वामदल के नेता एवम कार्यकर्ताओं शामिल हुए। आम आदमी पार्टी के मीडिया प्रभारी दिग्विजय राय तथा सचिन कुमार विश्वास अपने समर्थकों के साथ बन्द कराने में लगे रहे।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS