संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को राष्ट्रपति से खारिज करने की भाकपा (माले) की अपील
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) गरीबों पर मोदी सरकार का बड़ा हमला है : भाकपा(माले)
आर्थिक मंदी के दौर में गन्ना का मूल्य नहीं बढ़ाकर किसानों और तबाह कर रही है सरकार
बेतिया। अवधेश कुमार शर्मा। भाकपा माले का 11वां दो दिवसीय जिला सम्मेलन 13 दिसंबर 19 शुक्रवार को भाकपा माले के लोकप्रिय नेता शंभू प्रसाद सिंह- रामधनी बैठा सभागार(सुकन्या विवाह भवन, हरिवाटिका चौक) बेतिया में प्रारंभ हुआ। जिसके उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भाकपा माले राज्य सचिव का. कुणाल ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए मोदी सरकार ने संविधान पर बड़ा हमला किया है।माले नेता ने यह भी कहा कि भारत के संविधान की मूल आत्मा धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक भारत की है, जिसे आरएसएस और भाजपा सरकार खत्म कर हिंदुस्तान में धर्म आधारित नागरिकता को कायम करना चाहती है, जो घोर उत्पीड़न और अमाननीय है।
जिसे असम के डिटेंशन कैंप की उत्पीड़नकारी व्यवस्था से समझा जा सकता है। वे हिटलर के नाजी कंसेंनटरेशन कैंपो से बदतर है।पत्रकारों और विपक्षी नेताओं का वहां जाने पर प्रतिबंध हैं। असम उबल रहा है, कश्मीर की तरह नेट बंद कर, मीडिया पर पाबंदी लगाकर, वहां की जनता को सेना और अर्धसैनिक बलों के हवाले कर दिया गया है। असम के बाद पूरे देश में एनआरसी लागू होता है, तो पूरे देश के गरीब आबादी का बड़ा हिस्सा नागरिकता से वंचित हो सकता है। गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए यह बड़ी विपदा, नोटबंदी से हजार गुना खतरनाक रूप से सामने आ सकता है, जहाँ कैब के माध्यम से धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न होगा।
एनआरसी जो उसके पहले की कड़ी है, उसे व्यापक गरीबों का उत्पीड़न होगा। 1951 के वोटर लिस्ट और रैयती कागजात जुटाना गरीबों के लिए मुश्किल है, उस समय जमीदारी व्यवस्था लागू थी, इसलिए भाकपा माले भारत गणराज्य के राष्ट्रपति से अपील करती है कि धार्मिक उत्पीड़न करने वाली कैब और गरीब विरोधी एनआरसी को वापस संसद को भेजें। कामरेड कुणाल ने कहा कि जब देश में आर्थिक मंदी चरम पर है, बेरोजगारी भयंकर रूप से है, उसमें रोजगार देने के बदले मोदी सरकार केवल रेलवे में ही तेराह लाख कर्मचारियों की संख्या को घटाकर 3 लाख करने पर तुली हुई है, रेलवे को बेच रही है, बीएसएनल, भारत पेट्रोलियम बेचने की कोशिश जारी है।
उद्योग धंधों, खेती-बारी सब तबाह है, ऐसी स्थिति में मोदी सरकार ने रोज बेरोजगारों को रोजगार देने, वेतन बढ़ाने, मजदूरी भाता बढ़ाने, किसानों के कर्ज माफ करने, उनकी फसलों का दाम बढ़ाने के बदले उल्टे कारपोरेट जगत को लाखों करोड़ों रुपए की छूट हर वर्ष दे रही है। चंपारण समेत पूरे बिहार के गन्ना किसानों का मूल्य मिलो के 2 माह चलने के बाद भी निर्धारित नहीं हुआ है, पटना- दिल्ली की सरकारें गन्ना के मूल्य नहीं बढ़ाने की साजिश कर किसानों को और तबाह करने पर तुली हुई है।
माले राज्य सचिव ने गन्ना मूल्य कम से कम 400 करने की मांग के लिए किसानों को आंदोलन तेज करने का आह्वान किया। अन्य वक्तओ में माले नेता खेग्रामस के राज्य अध्यक्ष विरेद्र प्रसाद गुप्ता, सम्मेलन के पर्यवेक्षक बैजनाथ यादव, सुनील यादव ,सुनील कुमार राव, भैरव दयाल सिंह अन्य नेताओं ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया सम्मेलन की शुरुआत शहीदों की श्रद्धांजलि देने और भाकपा माले के वरिष्ठ नेता कामरेड बालखिला ठाकुर के द्वारा झंडातोलन से हुई सम्मेलन शुरू हो चुका है जो कल 14 दिसंबर तक चलेगा।