- औरत, मर्द और बच्चों की जुबां, प्रशासन के कृत्य को बयां करने को पर्याप्त है
बेतिया।अवधेश कुमार शर्मा। पश्चिम चम्पारण जिला अन्तर्गत नरकटियागंज प्रखंड स्थित नौतनवा पंचायत के पचमवा गाँव में सार्वजनिक भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए पटना उच्च न्यायालय जिला में दर्ज परिवाद संख्या सीडब्लूजेसी 17830/2016 में जब पीएचसी ने फैसला सुनाया तो तीन वर्ष बाद उस फैसले के विपरीत 8 अतिक्रमणकारी को स्थगनादेश कब जारी किया। सहसा विश्वास नहीं होता कि पचमवा अतिक्रमण मुक्त होगा।
अलबत्ता पश्चिम चम्पारण जिला जिला नरकटियागंज अंचल प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने का चाक-चौबंद बन्दोबस्त किया। सबसे अहम बात देश में दीपावली है, सभी समुदाय के लोग घरों की सफाई में लगे हैं, इस दौर में प्रशासन ने अतिक्रमणकारी 71 लोगों में 8 को छोड़ शेष 63 घरों को साफ़ कर दिया। इतनी बड़ी घटना का अंज़ाम देने का समय बदला जाना चाहिए। आपसी विवादों को लेकर पटना हाईकोर्ट में उपर्युक्त परिवाद तीन वर्ष पूर्व मुन्ना गद्दी पिता मैदार गद्दी एवं कलीम गद्दी पिता अवघ गद्दी ने दायर किया। जिसका खाता संख्या 917 आम गैरमजरूआ जमीन बताया गया है।
परिवाद दायर करने वालो ने 71 व्यक्तियों पर अतिक्रमण का आरोप लगाया, अलबत्ता जिला व अंचल प्रशासन ने 63 व्यक्तियों का अतिक्रमण ही हटाया है। ग्रामीणों ने बताया कि बाकी आठ व्यक्ति का हाई कोर्ट के द्वारा स्टे आर्डर मिल चुका है। अब यह सवाल उठता है ग्रामीणों का कहना है कि खाता एक ही जिसमें मुन्ना गद्दी, अब्बास गद्दी, जिलानी गद्दी, जॉजुल गद्दी, फिरोज गद्दी, नसरूल गद्दी व नूरेन गद्दी किस आधार पर स्टे मिल गया, पुनर्विचार याचिका आखिर किसने दायर किया। सरकारी पदाधिकारियों से स्थगनादेश की प्रति माँगने पर उपलब्ध नही कराया गया।
पूर्व मुखिया नौतनवा रैसुल आज़म ने बताया कि प्रशासन कोई पदाधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं था। जिन 63 व्यक्तियों का घर तोड़ा गया है, उसमें अवध गद्दी, तूफान अंसारी, छठ्ठू गद्दी, जनाबो खातून, मजहर, अनरुद, राजन गद्दी, भूषण, गणेश, भोला, बिजली, नगीना (सभी) गद्दी, नुरूलहोदा, गयासुद्दीन, कमरुल, इदरीस, अनरुल, रहीम, ठगई व कासिम (सभी) अंसारी, मदरफिक नट, इस्लाम नट, आलम देवान, खलील, कलाम देवान, नंदकिशोर प्रसाद श्रीवास्तव, बिहारी प्रसाद श्रीवास्तव, बंका प्रसाद श्रीवास्तव, रामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव अवधेश प्रसाद श्रीवास्तव, सहित 37 लोगों को सरकारी राशि से इंदिरा आवास बने हुए थे।
प्रश्न यह कि इन्दिरा आवास योजना के तहत बनाये गए मकान बिना प्रशासनिक स्वीकृति के कैसे बनाये गए। यदि प्रशासनिक स्वीकृति मिली तो अतिक्रमण का प्रश्न ही नहीं उठता है। ग्रामीणों ने कहा कि जहां हाकिम बेदर्दी हो वहां फरियाद क्या कैसा? न्यायालय एक ही खाता के जमीन को कुछ लोगों को स्थगनादेश जारी करता हैं और दूसरे को उजाड़कर बेघर करने की अनुमति देता है।
दीपावली जैसे त्योहार पर घर से बेघर होने वालों में सालिम गद्दी, मुन्ना गद्दी, इजहार गद्दी, नूरुल होदा गद्दी, जुलसन गद्दी, गणेश गद्दी, समसुल गद्दी, मुमताज गद्दी, जमीला गद्दी, मुबारक गद्दी, विपिन प्रसाद श्रीवास्तव, चंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, अनिल कुमार श्रीवास्तव, संजय कुमार श्रीवास्तव, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, दीपक प्रसाद, बिजली गद्दी,भोला गद्दी, शरीफ गद्दी, इस्लाम गद्दी, समसुल गद्दी, दौलत गद्दी, कमरुद्दीन अंसारी सहित दर्ज़नो बेघर हुए लोगों ने सरकार की नियत पर सवाल खड़ा किया है।
वर्तमान मुखिया, पूर्व मुखिया और ग्रामीणों ने बताया कि अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन के अनाउंस (प्रचार) से घर खाली करने की बात को लेकर सदमा से सालिम गद्दी की बेटी नजमा खातून की मौत हो गयी। सालिम की बेटी दीपावली पर मायके आकर पिता को मदद करने आई थी। दूसरी मौत माजुल गद्दी 58 वर्ष की हुई उसके सम्बन्ध में ग्रामीणों व पूर्व- वर्तमान जनप्रतिनिधियों ने बताया कि घर तोड़ने के सदमे को बर्दास्त नहीं कर सके और उनकी मौत हो गई।
आखिर इंदिरा आवास योजना से घर बनवाना फिर तोड़वाना, इसका जिम्मेदार कौन है? क्या भारत के नागरिको को सरकारी मकान देकर उसे ध्वस्त करना राष्ट्रीय क्षति नहीं है? नौतनवा पंचायत के पचमवागांव की बिलखती औरतों, सहमे पुरूष, सिमटे बच्चों की थरथराती ज़ुबान अनायास प्रशासन के कृत्य को बयां करती है।