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बिहार
नरकटियागंज के किसानों को बर्बाद होता नहीं देख सकता राजद
By Deshwani | Publish Date: 26/7/2019 10:48:13 PM
नरकटियागंज के किसानों को बर्बाद होता नहीं देख सकता राजद

बेतिया। अवधेश कुमार शर्मा। पश्चिम चम्पारण जिला का सर्वाधिक चर्चित रहा न्यू स्वदेशी सुगर मिल नरकटियागंज जो मगध सुगर एनर्जी लिमिटेड, की इकाई है। उपर्युक्त चीनी मिल और प्रशासनिक घालमेल वर्षों से जारी है। इसी क्रम में नरकटियागंज चीनी मिल प्रबंधन ने लाखों लीटर खतरनाक रसायन (केमिकल) युक्त जहरीला पानी फैक्ट्री के आसपास के गांवो मे छोड़ने का मामला कई बार समाचारपत्र व सोसल मीडिया के माध्यम से उजागर हुआ है। 

 
 बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने मीडिया के उज़ागर मामलों पर लीपापोती कर जनता और सरकार की साख पर बट्टा लगाते हुए, नरकटियागंज वासियों की बोलती बंद करा दिया। उल्लेखनीय है कि चीनी मिल नरकटियागंज एक तरफ जहाँ खतरनाक (केमिकल) रासायन युक्त जहरीले पानी से विभिन्न गांवो मे हजारो एकड़ जमीन मे लगे धान का फसल पूर्णत: बर्बाद कर दिया। वहीं जलचरों को खेतों से मिटा दिया, जिससे क्षेत्र के पारिस्थितिकी को नियंत्रित करने वाले साँप, बिच्छू, घोंघा जैसे विभिन्न जीवो की प्रजाति का अस्तित्व खतरे मे पड़ गया है। चीनी मिल के सपेन्ट वास (टेमा) की वजह से कृषि योग्य उर्वर भूमि बंजर(ऊसर) हो गई है।
 
 क्षेत्रीय किसान अनुज़ा भारती ने बताया कि उनके खेत में लगी 5 एकड़ धान और 1.5एकड़ गन्ना की फसल सपेन्ट वास से बर्बाद हो गया। कामता कृषि फार्म में उपर्युक्त खतरनाक रसायनिक पदार्थ का रिसाव मात्र से मिल ने अपने कृषि फॉर्म की खेत की मिट्टी लगभग दो फीट कटवाकर खेती कराया। अलबत्ता चीनी मिल प्रबंधन ने पहली बाढ़ में सभी खतरनाक रसायन अपने सुरक्षित टैंक से बाहर कर दिया। जिससे आस-पास के छोटे बड़े किसानों के खेत में लगी फसल बर्बाद हो गई है। नरकटियागंज व गौनाहा क्षेत्र के किसानों ने चीनी मिल और प्रशासनिक गठजोड़ का खुलासा किया है। किसानों ने कहा कि प्रबंधन व प्रशासन का गठजोड़ 2017 के बाढ़ की क्षतिपूर्ति वितरण में दिखा, वास्तविक पीड़ितों को क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं मिल सका। किसानों पर चीनी मिल व प्रशासन का इस कदर गठबंधन कि किसानों अंग्रेजी शासन में जमींदार व अंग्रेजो के गठबंधन कि याद दिला देता है।
 
 नरकटियागंज प्रखंड के सतवरिया, मंझरिया, रामपुर, खजूरिया-बरवा, अम्माघौद, हैंसवा, भेड़िहरवा, गोपालपुर, पोखरिया, मथूरा समेत दर्जनो गांवो में चीनी मिल के गैर जिम्मेदाराना व हिटलरशाही रवैया से सैकड़ो किसानो को करोड़ो रुपये की आर्थिक क्षति हुआ है, भविष्य मे जमीन के बंजर होने के भय किसान मानसिक (टाॅर्चर) प्रताड़ना से गुजर रहे हैं।  न्यू स्वदेशी सुगर मिल के (एक्जीक्यूटिव वाईस प्रेसीडेंट) कार्यपालक उपाध्यक्ष आशीष खन्ना की हिटलरशाही और प्रशासन को अपने पक्ष में मिलाकर रखने, अधिकांश मीडियाकर्मियों को पक्ष में रखने की का नायाब तरीका कि प्रबंधन जो चाहता है, खबरें वही चलती व दिखती हैं। अधिकांश मीडियाकर्मियों की भांति पक्ष मे ख़बर देने के लिए एक महिला मीडियाकर्मी ने प्रबंधन पर रिश्वत की पेशकश करने की बात कही गई। इतना ही नही महि मीडियाकर्मी ने एसडीएम चंदन चौहान पर इस मामले मे ढुलमुल रवैया अपनाने की बात कही है। जिससे पूरा तन्त्र संदिग्ध नज़र आ रहा है। उधर कार्यपालक उपाध्यक्ष आशीष खन्ना ने वरीय पत्रकार अवधेश कुमार शर्मा से बातचीत में बताया कि सपेन्ट वास हमारे टैंक में रहता है उससे उर्वरक बनाते हैं। श्री खन्ना के अनुसार मिल प्रबंधन पर गलत आरोप लगाया जा रहा है। पश्चिम चम्पारण जिला राजद किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष विनय कुमार यादव ने मामले से संबंधित विसंगतियों का प्रतिवेदन (रिपोर्ट) बनाकर पार्टी हाईकमान को सौपेंगा। किसानो को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने, सुगर मिल व प्रशासन के भ्रष्टअधिकारियों को निलंबित कराने लिए जल्द ही सड़क पर उतरेगा। हालाकि चीनी मिल अपने ऊपर लगे आरोप को एक सिरे से नकार रहा है।
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