श्रीनगर। जम्मू - कश्मीर पुलिस आजकल ‘की - पैड जिहादियों ’ की पहचान कर रही है जो राज्य में कानून - व्यवस्था बिगाड़ने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटों पर घृणा फैलाते हैं. ऐसे लोग इंटरनेट पर अफवाह फैलाते हैं या किसी भी घटना को सांप्रदायिक रंग देते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने पांच ट्विटर हैंडल के खिलाफ मामला दर्ज किया है और फेसबुक तथा वॉट्सएप पर गुमराह करने वाली पोस्ट को लेकर सेवा प्रदाताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है ताकि जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई की जा सके. अधिकारियों ने बताया कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट को संदेश भेज ऐसे ट्विटर हैंडल के बारे में जानकारी मांगी गई है ताकि ऐसे ‘ की - पैड जिहादियों ’ पर लगाम लगाई जा सके।
पुलिस ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर निगरानी रखने पर विशेष जोर दिया है। वह इंटरनेट पर उपलब्ध वॉट्सएप , टेलिग्राम और ऐसे ही टूल पर बनाए जाने वाले विभिन्न ग्रुप पर भी नजर रख रही है। ‘ की - पैड जिहादियों ’ पर इस कार्रवाई का उद्देश्य यह है कि पुलिस हथियारों से लैस आतंकियों को खत्म करने, पकड़ने पर ध्यान दे सके, बजाए कि उनके जो की - पैड की मदद से राज्य की मशीनरी के खिलाफ युद्ध छेड़ते हैं।
अधिकारियों ने बताया, ‘फेसबुक और ट्विटर पर कई पेज ब्लॉक करने के लिए हमने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम - इंडिया को कई शिकायतें भेजी हैं।’सेवा प्रदाताओं की मदद से ऐसे कई सिम कार्ड ब्लॉक किए गए हैं जिनका इस्तेमाल वॉट्सएप जैसी मैसेजिंग सेवाओं पर अफवाहें फैलाने के लिए किया जा रहा था।
अधिकारियों ने घाटी में दो दर्जन से अधिक वेबसाइटों पर रोक लगा दी जिसके बाद यहां सोशल मीडिया तक पहुंच पर काफी हद तक नियंत्रण लग गया लेकिन जम्मू और देश के अन्य हिस्सों में यह समस्या अभी भी बनी हुई है।