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स्थानीय भाषा में हो बहस व फैसले, निर्णयों का हो हिंदी अनुवाद : राष्ट्रपति
By Deshwani | Publish Date: 16/12/2017 6:04:09 PMइलाहाबाद, (हि.स)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि अदालतों में बहस स्थानीय भाषा में होनी चाहिए और कोर्ट के फैसले भी आम जनमानस को समझने के लिए वहीं की भाषा में दिया जाना चाहिए। जो फैसले अंग्रेजी में हैं, उसका हिन्दी अनुवाद किया जाना चाहिए। जिससे लोग कोर्ट के फैसले को समझ सकें।
राष्ट्रपति ने शनिवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय परिसर में न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, न्यायिक अधिकारियों व न्यायिक क्षेत्र से जुड़े अन्य लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि लम्बित मुकदमों की संख्या घटाने का पूरा प्रयास हो।
रामनाथ कोविन्द ने कहा कि वैकल्पिक न्याय व्यवस्था से जनता को लाभ मिलेगा और यह व्यवस्था आम जनमानस के लिए लाभकारी साबित होगी। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में वैकल्पिक न्याय व्यवस्था होने से आम जनता को काफी लाभ मिला है। इस कारण यहां भी वैकल्पिक न्याय व्यवस्था पर जोर देने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका धीरे-धीरे पेपरलेस न्याय पद्धति की ओर अग्रसर हो रहा है और यह उसका कदम सराहनीय है। न्यायिक एकेडमी के बारे में कहा कि इससे न्यायिक क्षेत्र से जुड़े न्यायिक अधिकारियों व अन्य लोगों को अपने विषय को लेकर लाभ होगा और इससे उनके कार्य क्षमता में सुधार होगा। इस दौरान उन्होंने ‘न्याय ग्राम’ टाउनशिप की आधारशिला रखी तथा कहा कि न्याय ग्राम की यह परियोजना विजय दिवस के सैनिकों को समर्पित है।
न्यायपालिका में त्वरित न्यायतंत्र की व्यवस्था हो स्थापित : राज्यपाल
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने हाईकोर्ट में जजों की संख्या 108 से 160 करने के लिए यहां के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि जजों की संख्या पूरी करने के लिए शीघ्र प्रयास किया जाय। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे यहां जजों की नियुक्ति संबंधी कोई फाइल आयेगी तो उसे अविलम्ब आगे बढ़ा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि न्याय पालिका में त्वरित न्यायतंत्र की व्यवस्था स्थापित की जाय, इससे कानून का राज होगा। उन्होंने न्याय ग्राम परियोजना को समय से पूरा करने के लिए एवं इसकी निगरानी को कमेटी गठित करने को कहा।
न्यायिक एकेडमी से लोगों को होगा तकनीकी ज्ञान : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाईकोर्ट के फैसलों को जनता के हित में बताते हुए मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार न्याय व्यवस्था के लिए हर प्रकार से सहयोग करने को तैयार है। सरकार की जनसुनवाई पोर्टल व्यवस्था को उन्होंने सही बताते हुए कहा कि इससे लोगों को लाभ मिल रहा है। हाईकोर्ट में दायर हो रही जनहित याचिकाओं पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि तमाम जनहित याचिकाएं मीडिया में सुर्खियां बटोरने के उद्देश्य से दायर की जाती है, इससे वास्तविक काम में अड़चनें पैदा होती है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सस्ता व सरल त्वरित न्याय व्यवस्था पर बल दिया और कहा कि इससे आम जनता को लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायिक एकेडमी से न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को तकनीकी ज्ञान मिलेगा और उनके इस ज्ञान से न्याय व्यवस्था को मदद मिलेगी।