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260 बरस पहले अंग्रेजों को चटाई गई थी धूल
By Deshwani | Publish Date: 13/8/2017 11:47:48 AM
260 बरस पहले अंग्रेजों को चटाई गई थी धूल

 हमीरपुर, (हि.स.)। जिले में 260 बरस पूर्व अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की आग भड़की थी। उसी दिन ट्रेजरी में तैनात सशस्त्र सरकारी गार्डों ने बगावत कर दिया था। यहां के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेज कलेक्टर टीके लायड व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट डोनाल्ड को कचहरी में सरेआम गोलियों से भून डाला था। इस सनसनीखेज वारदात से बौखलाये अंग्रेज सैनिकों ने सुरौली बुजुर्ग गांव को ही उजाड़ दिया था। 

23 जून 1757 को प्लासी युद्ध में बंगाल के नवाब सिराजुद्दोला को मीरजापर की गद्दारी से ब्रिटिश कम्पनी के सैनिकों ने करारी मात देकर भारत में ब्रिटिश शासन की आधारशिला रखी थी। ब्रिटिश शासन की स्थापना के 100 साल बाद 1857 में ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ बगावत की उठी चिंगारी देखते ही देखते पूरे हिन्दुस्तान में ज्वाला का रूप धारण कर लिया था। ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ मेरठ छावनी में बगावत की आग भड़की तो उससे पूरा देश प्रभावित हुआ। 1857 का मई महीना मेरठ शहर व सिपाही मंगल पांडेय ने जंग छेड़ दी थी।उस जमाने में टीके लायड हमीरपुर में ब्रिटिश कलेक्टर थे। हमीरपुर के क्षेत्राधिकार वाली 56 वीं नेटिव इन्फेटी फोर्स का मुख्यालय कानपुर भी सैनिक असंतोष के दौर से गुजर रहा था। चारों ओर फैल रहे अंसतोष और विद्रोह की खबरों से हमीरपुर के देशभक्त भी अंग्रेज प्रशासन के खिलाफ लामबंद हो गये थे। तनावपूर्ण होते देख यहां के कलेक्टर ने प्लान तैयार किया था। हमीरपुर में 13 जून 1857 के दिन अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह भड़का था। उसी दिन ट्रेजरी में तैनात सशस्त्र गार्ड ने बगावत कर दिया था। कलेक्टर के आवास पर भीड़ ने हल्ला बोला। 
 
जेल में हल्ला बोल छुड़ाये गये थे कैदी
बताया जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की एक टुकड़ी ने स्थानीय लोगों के साथ पहले तो कलेक्टर आवास पर हल्ला बोला फिर जेल में धावा बोलकर कैदियों को मुक्त कराया था। भीड़ के जेल में हल्ला बोलने के दौरान यूरोपियन कैदी भाग गये थे जबकि अन्य कैदी मार दिये गये थे। अंग्रेजों के खिलाफ शुरू हुई जंग के दौरान हमीरपुर में स्थिति तनावपूर्ण हो गयी थी। 
 
मौत के खौफ से भागे थे अंग्रेज प्रशासक
बताते हैं कि भीड़ के हमला करने से अंग्रेज कलेक्टर टीके लायड व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट डोनाल्ड ग्रांट बंगला छोड़कर यमुना नदी किनारे से होते हुये यमुना बेतवा के संगम स्थित झाडिय़ों में छिपे थे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व स्थानीय लोगों की भीड़ ने संगम के आसपास घेराबंदी कर इन दोनों को रस्सी से बांधकर खूब मारा गया फिर मारते पीटते दोनों को हमीरपुर कचहरी लाया गया था।
 
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