प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी, जिम्मेदार, जवाबदेह और विकास के लिए लोगों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी, जिम्मेदार, जवाबदेह और विकास के लिए लोगों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। सतर्कता और भ्रष्टाचार की रोकथाम पर आज से शुरू हुए तीन दिन के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए श्री मोदी ने कहा कि बीते वर्षों से भारत, भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त न करने की नीति पर अमल कर रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे भ्रष्टाचार का मामला हो, आर्थिक अपराध हों, मादक पदार्थों का अवैध व्यापार हो, मनी लॉन्ड्रिंग हो या आतंकियों को धन मुहैया करना हो, ये सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए अपराध हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें भ्रष्टाचार के विरूद्ध व्यवस्थित जांच, प्रभावी लेखा परीक्षा, क्षमता-निर्माण और प्रशिक्षण जैसे उपायों को अपनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त रूप से संघर्ष छेड़ना होगा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से लडना केवल एक एजेंसी का काम नहीं है, बल्कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि सभी एजेंसियों के बीच पूरा तालमेल होना चाहिए, क्योंकि तालमेल और सहकारिता की भावना समय की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गर्व से कहा जा सकता है कि देश ने घोटाले के युग को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि आज गरीबों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली के ज़रिए शत-प्रतिशत सहायता राशि उनके बैंक खातों कें ज़रिए भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के ज़रिए एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये की राशि को गलत हाथों में पहुंचने से रोका जा सका है। उन्होंने कहा कि आज सरकार पर जनता का भरोसा बढ़ा है और कई पुराने कानून खत्म कर दिए गए है, ताकि सरकार पर अनाावश्यक दबाव न रहे। सरकार अब नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने के लिए प्रयत्नशील है। श्री मोदी ने कहा कि पिछले दशकों में भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को सज़ा दिलाने में एक पूरी पीढ़ी बीत जाती थी और दूसरी पीढ़ी और भी अधिक भ्रष्टाचार करने लगती थी। श्री मोदी ने कहा कि इसकी वज़ह से कई राज्यों में भ्रष्टाचार राजनीति का हिस्सा बन चुका था। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह के अपराध और पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाले भ्रष्टाचार ने देश को खोखला करके रख दिया था। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे भ्रष्टाचार रूपी महामारी से निपटने में सरकार का साथ दें।
कार्मिक और लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो हर साल 27 अक्तूबर से दो नवम्बर तक मनाए जाने वाले सतर्कता जागरुकता सप्ताह के सिलसिले में इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करता है। इस साल के सतर्कता जागरुकता सप्ताह में जनता में भ्रष्टाचार के बारे में जागरुकता बढ़ाने और जनभागीदारी के ज़रिए सार्वजनिक जीवन में निष्ठा और शुचिता को बढ़ावा देने के प्रति भारत की वचनवद्धता की फिर से पुष्टि की जाएगी। तीन दिन के इस सम्मेलन में विदेशी क्षेत्राधिकार में अपराधों के अन्वेषण, भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यवस्थित कार्रवाई के लिए निवारणात्मक सतर्कता, बैंकों में धोखा-धड़ी की रोकथाम, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण तथा भ्रष्टाचार के मामलों को शीघ्रता से निपटाने में विभिनन एजेंसियों के बीच तालमेल पर चर्चा होगी। इसके अलावा आर्थिक अपराधों के क्षेत्र में नए रुझान, साइबर अपराध, संगठित रूप से किए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय अपराधों की रोकथाम के उपायों और आपराधिक छानबीन करने वाली एजेंसियों द्वारा अपनाए जाने वाले बेहतरीन तौर-तरीकों पर चर्चा होने की संभावना है।
इस सम्मेलन से नीति निर्माताओं और नीतियों पर अमल करने वालों को एक मंच पर लाने में मदद मिलेगी। इससे प्रणालीगत सुधारों और निरोधात्मक सतर्कता के उपायों से भ्रष्टाचार से कारगर तरीके से निपटा जा सकेगा। इससे सुशासन और जवाबदेह प्रशासनिक व्यवस्था कायम करने में भी सहायता मिलेगी। इन सब उपायों से भारत में कारोबार करना और आसान हो जाएगा।सम्मेलन में भ्रष्टाचार निरोधक संगठनों, सतर्कता संगठनों, आर्थिक अपराध शाखा, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की अपराध रोकथाम शाखाओं, सतर्कता संगठनों के प्रमुख, सीबीआई के अधिकारी और विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी भी उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों ने भी हिस्सा लिया।