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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की परामर्श समिति की बैठक संपन्न
By Deshwani | Publish Date: 24/3/2021 9:06:48 PM
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की परामर्श समिति की बैठक संपन्न

दिल्ली वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से संबद्ध माननीय संसद सदस्यों की परामर्श समिति की एक बैठक आज वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक का एजेंडा “भारत में विनिर्माण आधार को मजबूती देना” था।

 
माननीय सदस्यों को बताया गया कि 2014-15 से 2019-20 के दौरान भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वार्षिक औसत वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही थी। यह क्षेत्र सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में लगभग 16 प्रतिशत योगदान और देश के कुल कार्यबल में लगभग 12 प्रतिशत लोगों को रोजगार देता है।
 
 
 
 
पिछले 6 साल के दौरान, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने भारत में विनिर्माण आधार को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। निवेश को आसान बनाने, नवाचार को प्रोत्साहन देने, सर्वश्रेष्ठ विश्व स्तरीय विनिर्माण अवसंरचना के निर्माण के उद्देश्य से शुरू की गई “मेक इन इंडिया” पहल से कारोबार करना आसान हो रहा है और कौशल विकास में बढ़ोतरी हो रही है। मेक इन इंडिया 2.0 के तहत, अब 24 सहायक क्षेत्रों पर जोर दिया जा रहा है, जो भारतीय उद्योगों को मजबूत बनाने और प्रतिस्पर्धी बढ़त दिलाने, आयात विकल्प की आवश्यकता, निर्यात की संभावना और रोजगारपरकता में बढ़ोतरी के लिए चुने गए हैं। इसके अलावा, भारत के आत्मनिर्भर बनने के विजन और भारत की विनिर्माण क्षमताओं व निर्यात में सुधार को ध्यान में रखते हुए आम बजट 2021-22 में पांच साल की अवधि को 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं की घोषणा की गई है, जो अगले वित्त वर्ष से शुरू हो रही हैं।
 
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निवेश को गति देने के लिए मंत्रालयों/ विभागों में सचिवों के अधिकार प्राप्त समूहों और परियोजना विकास इकाइयों (पीडीसी) के गठन को भी स्वीकृति दी है।
 
भारत ने देश में कारोबारी सुगमता में सुधार के लिए कई कदम भी उठाए हैं, जो विश्व बैंक की ईओडीबी रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग 2014 की 142 से सुधरकर 2020 में 63 पर पहुंचने से भी जाहिर होता है। इन कदमों से विनिर्माण क्षेत्र सहित आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार उद्यमों और नागरिकों पर 6,000 से ज्यादा अनुपालन आवश्यकताओं को खत्म करने पर भी काम कर रही है।
 
 
 
सरकार ने एक औद्योगिक सूचना प्रणाली भी विकसित है, जिसे अब भारतीय औद्योगिक भूमिक बैंक और एक जीआईएस आधारित प्रणाली के  रूप में जाना जाता है, जिसमें लगभग 4,000 औद्योगिक पार्क शामिल हैं जिन्हें सैटेलाइट इमेजिनरी के उपयोग से जियो-टैग किया गया है। प्रणाली को 13 राज्यों की उद्योग आधारित जीआईएस प्रणाली के साथ एकीकृत किया गया है। इसके अलावा, देश भर के सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले औद्योगिक पार्कों के मूल्यांकन के लिए औद्योगिक पार्क मूल्यांकन व्यवस्था तैयार की गई है, जिससे जरूरी कदमों की पहचान की जा सकेगी और यह निवेशकों व नीति निर्माताओं के लिए फैसला लेने में सहयोगी प्रणाली के रूप में काम करेगी।
 
एक डिजिटल प्लेटफॉर्म- राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली के माध्यम से उद्यमों को सहूलियत देने और समर्थन देने के लिए एक निवेश स्वीकृति इकाई (आईसीसी) स्थापित की जा रही है। इस प्लेटफॉर्म को 15 अप्रैल, 2021 को पेश करने की योजना है। सुरक्षित, विश्वसनीय, गुणवत्तापूर्ण सामान उपलब्ध कराने, ग्राहकों के लिए स्वास्थ्य जोखिम न्यूनतम करने और निर्यात व आयात विकल्पों को प्रोत्साहन देने के क्रम में भारत सरकार ने तकनीक विनियमन/ गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किए हैं।
 
 
 
 
देश में औद्योगिक अवसंरचना को विस्तार देने के लिए सरकार द्वारा 11 औद्योगिक गलियारे विकसित किए जा रहे हैं। मल्टी मॉडल संपर्क अवसंरचना के साथ जुड़े इन गलियारों से विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलने का अनुमान है। सरकार की औद्योगिक रणनीति का उद्देश्य देश भर में संतुलित औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन देना है। पर्वतीय राज्यों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, केन्द्र सरकार विभिन्न नीतियों/योजनाओं/प्रोत्साहन पैकेज के माध्यम से राज्य सरकारों के प्रयासों में पूरक बनी है। जम्मू व कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर क्षेत्र में क्षेत्र केन्द्रित प्रोत्साहन योजनाओं को भी लागू किया जा रहा है। सरकार भारत में हर जिले में विशेष उत्पादों की पहचान और प्रोत्साहन व उत्पादन के उद्देश्य से “एक जिला एक उत्पाद” पहल भी काम कर रही है, जिनका वैश्विक स्तर पर विपणन किया जा सकता है। सरकार ने स्टार्टअप संस्कृति को प्रोत्साहन देने और भारत में नवाचार व उद्यमशीलता के लिए एक मजबूत और समावेशी माहौल तैयार करने के उद्देश्य से स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम भी पेश किया है। बौद्धिक संपदा अधिकारों की व्यवस्था को मजबूत बनाया जा रहा है। घरेलू निवेश और “मेक इन इंडिया”उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए सार्वजनिक खरीद आदेश को भी संशोधित किया गया है।
 
माननीय सदस्यों ने कई सुझाव दिए, जिन्हें विचार और अमल में लाने के लिए दर्ज कर लिया गया है।
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