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बिहार
महागठबंधन से अलग हुआ रालोसपा, उपेंद्र कुशवाहा ने मायावती की बसपा के साथ मिलकर बनाया नया मोर्चा
By Deshwani | Publish Date: 29/9/2020 8:10:51 PM
महागठबंधन से अलग हुआ रालोसपा,  उपेंद्र कुशवाहा ने मायावती की बसपा के साथ मिलकर बनाया नया मोर्चा

पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद अब सूबे में सियासी गठबंधन को लेकर गतिविधियां तेज हो गयी है। तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने यूपीए से नाता तोड़ दिया है। इसके साथ ही उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को बड़ा एलान किया है। बिहार चुनाव के लिए उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा ने अब बीएसपी और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट के साथ मिलकर गठबंधन करने की घोषणा की है। यह मोर्चा उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा।

 
जानकारी के मुताबिक उपेंद्र कुशवाह एनडीए से भी संपर्क में थे, लेकिन सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी। बसपा के साथ सियासी गठबंधन को लेकर कुशवाहा ने आज पटना में प्रेसवार्ता कर औपचारिक एलान किया। चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। साथ ही महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भी कुशवाहा नाराज चल रहे थे। इन सबके बीच कुशवाहा ने यूपीए का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल होने की कोशिश, लेकिन वहां भी सीटों पर सहमति न बन पाने के बाद तीसरा मोर्चा बनाने का फैसला किया है।
 
रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने  कहा कि मैं न एनडीए में जा रहा हूं और न महागठबंधन में रहूंगा। राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में इतनी ताकत नहीं है कि वह बिहार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुक्ति दिला सके। इसके चलते हमने बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) के साथ गठबंधन किया है। हम बिहार को नया और बेहतर विकल्प देने जा रहे हैं।
 
बता दें कि एनडीए में सीट बंटवारे का जो फॉर्मूला तय किया गया था उसके अनुसार उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए में शामिल होने के बाद विधानसभा की पांच सीटें और लोकसभा उपचुनाव की एक सीट दी जानी थी। साथ ही उन्हें एनडीए में रहते हुए अपने चुनाव चिह्न पर न लड़कर जदयू के चुनाव चिह्न पर लड़ने की बात कही गई थी। लेकिन कुशवाहा को यह फॉर्मूला पसंद नहीं आया। साथ ही सोमवार को अपने प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी के राजद में चले जाने से भी वे आहत हैं। इन्हीं सब कारणों की वजह से उन्होंने अपनी अलग राह चुनी है।
 
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने तेजस्वी यादव पर भी जमकर निशाना साधा, कहा- राजद को अपना नेतृत्व बदलना चाहिए। जब पार्टी का मुखिया ही दसवीं पास नहीं है तो वे बेहतर शिक्षा देने का दावा कैसे कर सकते हैं। हमारा गठबंधन बिहार की सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगा। हमारी कोशिश सरकार बनाने की होगी। चिराग पासवान के बारे में पूछने पर कहा कि उनसे कोई बात नहीं हुई है, लेकिन हमारे गठबंधन में कोई भी आएगा तो उसका स्वागत करेंगे। इस गठबंधन में जनवादी सोशलिस्ट पार्टी भी शामिल है।
 
 
उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर भी जमकर निशाना साधा, उससे पहले महागठबंधन पर भी कई तरह के आरोप लगाए। कहा जिस तरह से महागठबंधन चल रहा है उससे वे बिहार को नीतीश कुमार से मुक्त नहीं करा पाएंगे। नीतीश कुमार ने बिहार के लोगों को खूब सपने दिखाए हैं। उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करेंगे। भ्रष्टाचारियों के मकान और जमीन को जब्त करेंगे। ऐसे कितने भ्रष्टाचारी हैं जिनके मकान और जमीन को जब्त कर वहां स्कूल और अस्पताल खुलवाए गए।
 
उन्होंने कहा कि हम नीतीश कुमार से बिहार को मुक्त कराना चाहते हैं, लेकिन ऐसा महागठबंधन में रहते हुए नहीं हो पा रहा था। राजद कोई परिवर्तन नहीं कर पा रहा है। महागठबंधन भी भाजपा की तरह हो गया है। बिहार की जनता अब नया विकल्प चाहती है। लोग पुराने 15 साल में नहीं लौटना चाहते। हम बिहार को एक नया और बेहतर विकल्प देना चाहते हैं। कुशवाहा ने अपना नारा भी सार्वजनिक किया। कहा-'अबकी बार शिक्षा वाली सरकार'। कुशवाहा ने कहा कि 30 साल में बिहार रसातल में चला गया है। हमें 5 साल दीजिए, एक बेहतर बिहार बनाएंगे।
 
उपेंद्र कुशवाहा ने कांग्रेस के बारे में कहा कि कांग्रेस आज भी बड़ी पार्टी है। उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं की। असल में महागठबंधन किसी से बात करने के लिए बैठा ही नहीं तो बात कैसे होगी? वाल्मीकिनगर से उपचुनाव लड़ने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ होने नहीं जा रहा है।
 
गौरतलब है कि उपेद्र कुशवाहा की रालोसपा, महागठबंधन का हिस्सा बनने से पहले एनडीए के साथ थी, लेकिन 2018 में कुशवाहा एनडीए से अलग हो गये। उपेंद्र कुशवाहा आरएलएसपी के संस्थापक हैं। मोदी सरकार में साल 2014 में उन्हें ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेय जल और स्वच्छता मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद जब कैबिनेट में फेरबदल हुआ तो उपेंद्र कुशवाहा को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया। उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री के पद से इस्तीफे के साथ ही एनडीए से भी नाता तोड़ दिया था।इसके बाद वह महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे, लेकिन अब उन्होंने तीसरा मोर्चा बनाने का फैसला किया है।
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