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आज से खुल जाएंगे सबरीमाला मंदिर के कपाट, महिलाओं के प्रवेश के चलते सुरक्षा के माकूल इंतजाम
By Deshwani | Publish Date: 16/11/2019 10:25:31 AM
आज से खुल जाएंगे सबरीमाला मंदिर के कपाट, महिलाओं के प्रवेश के चलते सुरक्षा के माकूल इंतजाम

तिरुवनंतपुरम। सबरीमाला मामले को उच्चतम न्यायालय के वृहद पीठ में भेजे जाने के शीर्ष अदालत के फैसले की पृष्ठभूमि में, भगवान अयप्पा मंदिर आज यानी शनिवार को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। आज (16 नवंबर) से दो महीने तक लोग मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। आज से ही मंदिर में मंडला पूजा की शुरूआत कर दी जाएगी। महिलाओं के प्रवेश के चलते मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मंदिर में करीब 25000 पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है।

 
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश संबंधित मामले पर सुनवाई करते हुए इसे बड़ी बेंच को सौंप दिया है। वहीं कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 के फैसले को बरकरार रखते हुए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर 2018 को 4 के मुकाबले एक के बहुमत से फैसला दिया था जिसमें केरल के सुप्रसिद्ध अयप्पा मंदिर में 10 वर्ष से 50 की आयुवर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटा दिया गया था। फैसले में शीर्ष अदालत ने सदियों से चली आ रही इस धार्मिक प्रथा को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया था। 
 
सबरीमला ही नहीं कई धर्मों में है ऐसी प्रथा
सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मामले में दिए गए उसके फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाएं सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ के पास भेजते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध केवल सबरीमला तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य धर्मों में भी ऐसा है।
 
धर्म और आस्था पर बहस फिर से शुरू करना चाहते हैं याचिकाकर्ता'
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपनी ओर से तथा न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा की ओर से फैसला पढ़ा। इसमें उन्होंने कहा कि सबरीमला, मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और दाऊदी बोहरा समुदाय में महिलाओं में खतना जैसे धार्मिक मुद्दों पर फैसला वृहद पीठ लेगी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता धर्म और आस्था पर बहस फिर से शुरू करना चाहते हैं। सबरीमला मामले पर फैसले में न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन और डीवाई चंद्रचूड़ की राय अलग थी।
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