बेंगलुरु। कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट के बीच गुरुवार को विधानसभा के अंदर और बाहर दिल्ली से बेंगलुरु तक हुए घटनाक्रम ने शाम ढलने के बाद नया मोड़ ले लिया। दिन में आज विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा आगे नहीं बढ़ सकी, इसलिए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को कहा है कि वह शुक्रवार को अपराह्न डेढ़ बजे तक बहुमत साबित करें। इसके साथ ही राज्य में राजनीतिक गतिविधियां एक बार फिर तेज हो गई हैं।
गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा को शोर-शराबे और हंगामे के बीच स्थगित कर दिया गया। इसको लेकर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने सदन में आज की रात बिताकर विरोध करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया और उनकी चतुर चाल और रणनीति में आज का दिन उलझकर रह गया। सदन की कार्यवाही बाधित होने के बावजूद स्पीकर ने सदन के नेता को विश्वास मत प्रस्ताव पर राय रखने की अनुमति दी जबकि वह चर्चा हुई ही नहीं। सदन में आज जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन सरकार का विश्वास मत हासिल करने का एकमात्र उद्देश्य था लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे सत्तारूढ़ गठबंधन ने 'नो बिजनेस' कदम के लिए योजना बनाई थी।
बीच-बीच में कई चक्कर लगाने के बाद सिद्धारमैया ने सदन में कहा कि जेडीएस और कांग्रेस के सभी विधायकों को व्हिप जारी करने के मुद्दे को वोट देने से पहले ही हल करना होगा। एक बार जब सिद्धारमैया काफी देर तक अपनी बात रख रहे थे तो एचडी कुमारस्वामी कागजों के एक बंडल को देखने में व्यस्त थे जैसे कि वह बहुत जल्द परीक्षाओं की तैयारी में हों।
कांग्रेस-जेडीएस के रणनीतिक प्रबंधक किसी भी चर्चा को अवरुद्ध करने के लिए बहुत अच्छी तरह से तैयार थे। शायद यह सत्तारूढ़ गठबंधन की एक सुव्यवस्थित योजना थी। मुंबई के एक होटल में रुके सभी बागी विधायकों ने आज एक और वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने एकजुट होने के अपने पुराने रुख को दोहराते हुए इस्तीफे वापस नहीं लेने की बात कही।
विधानसभा की आज की कार्यवाही में 20 विधायक अनुपस्थित रहे। इनमें कांग्रेस के रमेश जारकीहोली, महेश कुमटल्ली, प्रतापगौड़ा पाटिल, शिवराम हेब्बार, बीसी पाटिल, एसटी सोमशेखर, बैरटी बसवराज, एमटीबी नागराज, डॉ के सुधाकर, आर रोशन बेग, आनंद सिंह, मुनीरत्ना, स्वास्थ्य के आधार पर कांग्रेस विधायक श्रीमंत पाटिल और बी नागेंद्र, जेडीएस से एच विश्वनाथ, गोपालैया तथा नारायण गौड़ा, निर्दलीय आर शंकर और नागेश तथा बसपा के प्रो. एन महेश हैं।
224 सदस्यों की विधानसभा की ताकत अब 204 हो गई है। इस तरह से बहुमत के लिए जादुई संख्या 103 हो गयी है। बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा पार्टी की ताकत 105 बनी हुई है जबकि जेडीएस और कांग्रेस की घटकर मात्र 99 रह गई है। ये आँकड़े साबित करते हैं कि बहुमत का दावा करने के लिए गठबंधन सरकार के पास कोई संख्या नहीं है।