राष्ट्रीय
कर्नाटक में बनेगी बीजेपी की सरकार, येदियुरप्पा को 21 मई तक साबित करना होगा बहुमत
By Deshwani | Publish Date: 16/5/2018 8:41:55 PMबेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद पैदा हुए राजनीतिक संकट पर राज्यपाल वजूभाई वाला ने निर्णय ले लिया है। राज्यपाल ने बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया है। कर्नाटक से बीजेपी विधायक सुरेश कुमार के मुताबिक गुरुवार सुबह 09.30 बजे येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि राजभवन ने शपथ ग्रहण को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। राज्यपाल ने येदियुरप्पा को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 21 मई तक का समय दिया है। खबर है कि शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह शामिल नहीं होंगे। ऐसा बताया जा रहा है कि शपथ ग्रहण में अकेले येदियुरप्पा ही शपथ लेंगे। कोई और मंत्री उनके साथ शपथ नहीं लेगा।
बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने की खबर मिलने के बाद से कांग्रेस खेमे में हड़कंप मच गया। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और कपिल सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राज्यपाल द्वारा उठाए गए इस कदम को गलत बताया और कहा कि बीजेपी लोकतंत्र की हत्या कर रही है।
ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस अब इस मामले में कानून के जानकारों की राय लेकर अगल कदम उठाने की तैयारी में है. बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में बहुमत के लिए 112 सीटों की आवश्यकता है। लेकिन बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें मिली है। सबसे बड़ा दल होने के नाते बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। वहीं कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देते हुए बहुमत का दावा किया है। कांग्रेस जेडीएस के कुमारस्वामी को सीएम बनाने पर सहमत है और आज (बुधवार) कुमारस्वामी ने जेडीएस और कांग्रेस विधायकों के साथ राज्यपाल से मुलाकात की थी।
आज (बुधवार को) कुमारस्वामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने राज्यपाल महोदय को 117 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा है और सरकार बनाने का दावा पेश किया है। राज्यपाल ने भी उन्हें संविधान के मुताबिक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। जबकि येदियुरप्पा ने बुधवार को नतीजे आने के बाद ही राज्यपाल से मुलाकात की थी और सबसे बड़ा दल होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश किया था. राज्यपाल ने दोनों ही पक्षों से मुलाकात करने के बाद संवैधानिक दायरे में रहकर निर्णय लेने की बात कही थी।