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देश में जल की कमी नहीं, जल नियोजन की कमी है : : गडकरी
By Deshwani | Publish Date: 17/3/2018 9:25:44 AM
देश में जल की कमी नहीं, जल नियोजन की कमी है : : गडकरी

होशंगाबाद। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे देश में जल की कमी नहीं है लेकिन जल के बेहतर नियोजन की आवश्यकता है। होशंगाबाद जिले में नर्मदा नदी के तट पर बांद्राभान में दो दिवसीय पांचवे नदी महोत्सव का शुभारंभ करते गड़करी ने कहा,  हमारे देश में जल की कमी नहीं है, बल्कि जल के नियोजन की कमी है, क्योंकि देश की नदियों का बहुत सा पानी समुद्र में चला जाता है। उन्होंने कहा, हमारे देश में कई जगह पानी की अधिकता है, वहां बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है और कई जगह पानी कम है, वहां सूखे की समस्या सामने आती हैं। 

 

हमें पानी के नियोजन और संवर्धन के क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण लेकर और अधिक कार्य करना होगा ताकि संतुलन बन सके। नदियों के जल संवर्धन से जुड़े बहुत से काम देश में हो रहे हैं, जिससे सभी को लाभ मिल रहा है। हम सभी को वृक्षारोपण सहित प्रकृति के संवर्धन से जुड़े अन्य कार्यों को अधिकता से करने की आवश्यकता है, ताकि जल का संतुलन बना रहे। 

 

उन्होंने कहा, जल, जंगल, जमीन और जानवर ये सभी भगवान के द्वारा हमें दी गई अमूल्य भेंट है और इनका संवर्धन करने पर सम्पूर्ण सृष्टि का विकास होगा और इसके लिए हम सभी को एकात्म दृष्टिकोण की आवश्यकता है। पूर्व केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री स्वर्गीय अनिल माधव दवे, जिन्होंने नर्मदा नदी के संरक्षण के उद्देश्य से नर्मदा तट, बांद्राभान में नदी महोत्सव की शुरूआत की थी, को याद करते गडकरी ने कहा कि वेस्ट को वेल्थ में बदलने, तकनीक का उचित उपयोग, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन, लॉजिस्टिक कॉस्ट को कम करने के लिए जो कार्य चल रहे हैं, साथ ही जो कार्य हम आगे कर सकते हैं, इनसे आर्थिक स्थिति को बदला जा सकता है।

 

उन्होंने कहा कि स्व. अनिल माधव दवे द्वारा की गई शुरुआत और उनके विचार पर चिंतन और कार्य से पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में लाभ मिलेगा और प्रत्येक गाँव का समग्र विकास होगा।

 

इसके पहले गडकरी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनिल माधव दवे द्वारा लिखित पुस्तक नर्मदा परिक्रमा मार्ग का विमोचन किया। महोत्सव को आरएसएस के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी और मुख्यमंत्री चौहान सहित अन्य वक्ताओं ने भी सम्बोधित किया।

 

सोनी ने राजस्थान के जैसलमेर का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां 700 वर्ष पूर्व ही तालाब के पानी के संरक्षण के लिए कार्य शुरू कर दिया गया था। हम तकनीकी का उपयोग कर नदियों को पुर्नजीवन दे सकते हैं। नदी जब एक स्त्रोत से दूसरे स्त्रोत तक बहने लगे तब नदी का जीवन हैं।

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