राष्ट्रीय
स्पेशल मैरिज एक्ट पर संविधान बेंच में सुनवाई जारी
By Deshwani | Publish Date: 7/12/2017 2:48:49 PMनई दिल्ली, (हि.स.)। क्या एक पारसी महिला का धर्म स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत किसी हिन्दू से शादी करने के बाद बदल जाएगा। इस सवाल पर विचार करने के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने आज सुनवाई शुरु कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 9 अक्टूबर को इसे संविधान बेंच को सुनवाई के लिए रेफर कर दिया था ।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एके सिकरी शामिल हैं। गुजरात के गुलरुख एम गुप्ता ने याचिका दायर कर गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला किसी दूसरे धर्म के पुरुष से शादी करती है तो ऐसा माना जाएगा कि उसने अपने पति का धर्म अपना लिया है| और वह अपने पुराने धर्म को मानने का अधिकार खो देगी।
गुलरुख एक पारसी महिला है जिसने अपनी शादी 1991 में एक हिंदू पुरुष से की। शादी के बाद भी वह पारसी धर्म का पालन करती रही। गुलरुख ने एक दूसरी पारसी महिला दिलबार वाल्वी का उदाहरण दिया जिसने एक हिंदू से शादी की। जब दिलबार की माता का देहांत हुआ तो उसके अंतिम संस्कार में टावर ऑफ साइलेंस में वलसाड पारसी अंजुमन ट्रस्ट ने शामिल नहीं होने दिया। गुलरुख ने ये आशंका जताई है कि उसके साथ भी ऐसा ही हो सकता है। पारसी पंचायत की ये दलील थी कि ये स्पेशल मैरिज एक्ट का मामला नहीं है बल्कि पारसी पर्सनल लॉ का है और ये करीब 35 साल पुरानी प्रथा है। इस संबंध में सारे दस्तावेज और सबूत मौजूद हैं। कोर्ट ने कहा कि ये सबूत और दस्तावेज कहां से आए हैं। इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इससे जुड़े तमाम अदालती आदेशों को भी देखना चाहिए।
गुलरुख ने गुजरात हाईकोर्ट से इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग की, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अगर कोई महिला दूसरे धर्म के पुरुष से शादी करती है तो उसे अपने पति के धर्म को मानना होगा और अपने धर्म को मानने का अधिकार खो देगी। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।