श्रीनगर। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र कहे जाने वाले सियाचिन ग्लेशियर में हुए भीषण हिमस्खलन में भारतीय सेना के 4 जवान शहीद हो गए। इसके अलावा 2 पोर्टरों की भी मौत हुई है। इस कठिन क्षेत्र में सोमवार दोपहर को हिमस्खलन हुआ, जिसमें गश्ती दल के 8 जवान फंस गए। सभी को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर हेलीकॉप्टर से सैन्य अस्पताल ले जाया गया लेकिन चारों सैनिकों और दोनों पोर्टरों की मौत हो गई।
सियाचिन ग्लेशियर के उत्तरी क्षेत्र में 19 हजार फीट की ऊंचाई पर इस क्षेत्र में सोमवार दोपहर को भारी हिमस्खलन हुआ। हिमस्खलन की चपेट में आए सेना के जवान गश्त करने वाली टीम का हिस्सा हैं, जिसमें आठ जवान शामिल थे। यह सभी सोमवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे सियाचिन के उत्तरी छोर की ओर पट्रोलिंग करने गए थे। इसके बाद आस-पास के स्थानों से हिमस्खलन बचाव दल इस स्थान पर पहुंचे और खराब मौसम के बीच राहत कार्य शुरू किया।
सभी आठ जवानों को हिमस्खलन के मलबे से बाहर निकाला गया। चिकित्सा दलों के साथ गंभीर रूप से घायल हुए सभी लोगों को हेलीकॉप्टरों से नजदीकी सैन्य अस्पताल में पहुंचाया गया। बर्फ में दबने से चार सैनिक और दो सिविलियन पोर्टर्स अति हाइपोथर्मिया के शिकार हो गए, इसलिए इन्हें बचाया नहीं जा सका। सेना के अस्पताल में भर्ती दो अन्य जवानों की हालत गंभीर है जिनका इलाज जारी है।
1984 से अबतक 1000 से अधिक जवान शहीद
सियाचिन में इससे पहले भी कई बार ऐसे हादसों में भारतीय सेना के सैकड़ों जवान अपनी जान गंवा चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, साल 1984 से लेकर अब तक हिमस्खलन की घटनाओं में सेना के 35 ऑफिसर्स समेत 1000 से अधिक जवान सियाचिन में शहीद हो चुके हैं। 2016 में ऐसे ही एक घटना में मद्रास रेजीमेंट के जवान हनुमनथप्पा समेत कुल 10 सैन्यकर्मी बर्फ में दबकर शहीद हो गए थे।
सर्दी में -60 डिग्री तक हो जाता है तापमान
बता दें कि कारकोरम क्षेत्र में लगभग 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर विश्व में सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र माना जाता है, जहां सैनिकों को फ्रॉस्टबाइट (अधिक ठंड से शरीर के सुन्न हो जाने) और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है। ग्लेशियर पर ठंड के मौसम के दौरान हिमस्खलन की घटनाएं आम हैं। साथ ही यहां तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है।खा के पास उत्तर पर स्थित है। सियाचिन ग्लेशियर का क्षेत्रफल लगभग 78 किमी है। सियाचिन, काराकोरम के पांच बड़े ग्लेशियरों में सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है।