रांची। एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की मांगों पर विचार करने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक में सोमवार को कई बिंदुओं पर सहमति बनी। बिना परीक्षा लिये सीधे पारा शिक्षकों के समायोजन व वेतनमान देने का बैठक में विरोध किया गया। मिली जानकारी के अनुसार, बैठक में सीमित परीक्षा लेकर पारा शिक्षकों का समायोजन करने पर सहमति जतायी गयी।
परीक्षा का प्रारूप तैयार करने के लिए स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग को अधिकृत किया गया। 10 दिन के भीतर समिति आंतरिक बैठक कर क्रियान्वयन पर निर्णय लेगी।
उसके बाद मोर्चा के प्रतिनिधियों को बुलाया जायेगा। इसके अलावा हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में रिक्त हजारों पदों पर नियुक्ति के लिए री काउंसेलिंग कराने, टेट प्रमाण पत्र की अवधि पांच वर्ष से बढ़ा कर सात वर्ष करने व पारा शिक्षक कल्याण कोष के गठन पर भी बैठक में सहमति बनी।
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने मोर्चा की अन्य मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया. एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधियों की मांग : बैठक में एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधि सिंटू सिंह, ऋषिकेश पाठक व बजरंग प्रसाद ने पुनः छत्तीसगढ़ की तर्ज पर अनुभव के आधार पर समायोजन करने की मांग की। प्रतिनिधियों ने शिक्षा सचिव से कहा कि नियमावली के निर्धारण के पूर्व एक अप्रैल 2018 के प्रभाव से केंद्रीय पैब के निर्देश के आलोक में 15,000, 20,000 व 25,000 का मानदेय पारा शिक्षकों को देने की मांग की।
इस पर प्रधान शिक्षा सचिव ने वित्त विभाग से परामर्श कर निर्णय लेने की बात कही। बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष सह कार्मिक प्रशासनिक सुधार व राजभावा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल ने की। इस अवसर पर सचिव वित्त (योजना) विभाग, विधि विभाग के प्रधान सचिव, शिक्षा के प्रधान सचिव, झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक के अलावा मोर्चा के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि करीब 69,000 पारा शिक्षक राज्य के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में कार्यरत हैं। वे वर्षों से अपनी सेवा का स्थायीकरण करने व वेतनमान देने की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। माेर्चा की मांगों पर विचार करने के लिए मुख्य सचिव ने उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। इससे पूर्व समिति की बैठक 27 जुलाई को हुई थी। इसके बाद छह अगस्त को अंतरिम बैठक हुई थी।