रांची। बिरसा मुंडा स्मृति पार्क को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस तरह विकसित करने का निर्देश दिया है जिससे यह देश का सबसे बेहतर शहीद स्मारक साबित हो। उन्होंने अधिकारियों को अधिक से अधिक शोध करने और यूनिक आइडिया लगाने का निर्देश दिया। इस पार्क में जेल का चित्रण इस प्रकार किया जाए कि लोगों को भगवान बिरसा मुंडा के समय का अहसास हो। पुराने भवनों से किसी प्रकार की छेड़छाड़ न हो। यहां भगवान बिरसा मुंडा की सबसे बड़ी प्रतिमा भी लगाई जाए। इसके साथ ही झारखंड के वीर सैनिक जो सीमा पर मां भारती की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं, उनकी तस्वीर भी पार्क में लगाई जाए। पार्क में होने वाले कार्यों को लेकर प्रजेंटेशन के दौरान सीएम ने उक्त निर्देश दिए।
सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सैनिक सीमा पर किस परिस्थिति में रहते हैं, उसका अनुभव पार्क में पहुंचने वाले लोगों को मिले। भगवान बिरसा मुंडा की पूरी जीवनी यहां प्रदर्शित की जाए। साथ ही आजादी के आंदोलन में अपना जीवन बलिदान करने वाले अन्य ट्राइबल लीडर के बारे में भी बताया जाए। पुराने चिकित्सालय को भी उन्होंने पुराने जमाने के अनुसार बनाने का निर्देश दिया। परिसर में एक ओर चिल्ड्रेन पार्क बनाने की भी बात कही। पार्क में बच्चों को आकर्षित करनेवाली चीजें हों। उन्होंने बगल में स्थित तालाब तक पहुंचने के लिए अंडरपास बनाने को कहा। वोटिंग की ऐसी सुविधा हो।
राजभवन के समीप स्थित जाकिर हुसैन पार्क जल्द ही जाकिर हुसैन धरना स्थल के रूप में परिवर्तित होगा। बुधवार को नगर निगम बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया है। मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि राजभवन के समीप स्थित यह पार्क बेकार हो चुका है। इस पार्क की कोई उपयोगिता नहीं है।
राजभवन के समीप अक्सर धरना-प्रदर्शन होते रहते हैं, जिसके कारण ट्रैफिक जाम की समस्या से लोग जूझते हैं। पार्क स्थल पर धरना स्थल के लिए स्थायी निर्माण कराया जाएगा, ताकि धरना-प्रदर्शन करने वालों के कारण इस मार्ग पर जाम की समस्या उत्पन्न न हो। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि धरना स्थल का नामकरण जाकिर हुसैन धरना स्थल के रूप में किया जाएगा। मेयर के इस प्रस्ताव पर डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय समेत सभी पार्षदों ने सहमति प्रदान कर दी है।
सिंह व भाजपा सचेतक सीपी सिंह ने इस पार्क का उद्घाटन किया था। उसके बाद स्थानीय निवासियों के लिए यह पार्क मनोरंजक स्थलों में से एक बन गया था। यहां एक छोटा सा चिड़ियाघर भी था, जिसमें खरगोश व गिनी सूअरों को रखा गया था। पार्क के चारों ओर मर्निंग वाकर्स चक्कर लगाते थे। पार्क के मध्य एक विशाल बरगद का पेड़ था, जिसके नीचे बेंच सेट थे। 2010-11 में नगर निगम ने पार्क के संचालन की जिम्मेदारी हरिओम कंस्ट्रक्शन को दी थी। लेकिन संवेदक ने एकरारनामा करने से इंकार कर दिया था। उसके बाद से लेकर आज तक पार्क में ताला लटका हुआ है। पार्क जर्जर हो चुका है।