कोल्हान में नक्सलियों के कैंप ध्वस्त, सबसे लंबा ऑपरेशन खत्म, जवान बैरकों में लौटे
चाईबासा। कोल्हान के जंगल में नक्सलियों के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े और लंबे ऑपरेशन में पुलिस को बोरोई गांव के पास पहाड़ियों पर बुधवार को बड़ी सफलता मिली। यहां उन्होंने नक्सलियों के सबसे बड़े कैंप को ध्वस्त कर दिया। इस दौरान पहाड़ियों से भारी मात्रा में लैंडमाइन, राशन सामग्री, दवाइयां, वायरलेस सेट, मोबाइल, दैनिक उपयोग के सामान, दवाइयां, कारतूस, बिजली के तार, नक्सली साहित्य, औजार, जूता-चप्पल आदि बरामद हुए। लेकिन, जिस उद्देश्य से जवान जंगल में दाखिल हुए थे, वह पूरा नहीं हो पायेगा। जंगलों में मौजूद सभी बड़े नक्सली छोटी-छोटी टुकड़ियों में सुरक्षा बलों को चकमा देकर फरार हो गये। नक्सली कैंपों को ध्वस्त करने के बाद ऑपरेशन चला रहे जवान बुधवार को दोपहर के बाद अपने बैरकों में लौट गये।
बताया गया है कि पोलित ब्यूरो एवं केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, मिसिर बेसरा उर्फ सुनिर्मल भाष्कर, सुधाकरण, विवेक दा, अनल दा, मोछू, चमन, जीवन कंडुलना, महाराज प्रमाणिक, संदीप यादव, कांडे, सुरेश मुंडा, अमित मुंडा, सलुका कायम समेत लगभग 100 अज्ञात महिला एवं पुरुष नक्सली भाग गये। बावजूद इसके पुलिस संतुष्ट है। उसका कहना है कि कोल्हान के सांगाजाटा, बोरोई गांव जैसे दुर्गम क्षेत्र में जाकर नक्सलियों के कैंप को ढूंढ़ लेना, उनसे लोहा लेना बहुत बड़ी बात है।
पुलिस ने कहा कि किसी भी ऑपरेशन में नक्सलियों को खोजकर मुठभेड़ करना पुलिस के लिए सफलता मानी जाती है, जिसमें पुलिस सफल रही। कहा कि इस दौरान पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए नक्सलियों ने कई माइंडगेम खेले। उनकी एक टुकड़ी ने सारंडा के बहदा गांव क्षेत्र के जंगलों में अपनी गतिविधियां दिखाने की कोशिश की, तो सोनुआ थाना क्षेत्र के कुटीपी गांव के समीप सड़क निर्माण कार्य में लगी वाहनों को आग के हवाले कर पुलिस का ध्यान बांटने का काम किया।
कोल्हान के जंगल में भारी मात्रा में रसद की आपूर्ति की खबर व अन्य खुफिया जानकारी के बाद पुलिस ने 12 दिन पहले ऑपरेशन शुरू किया था। ऑपरेशन के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के दर्जनों संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर जंगल से लेकर चाईबासा तक पूछताछ की गयी, लेकिन कोई अहम सुराग हाथ नहीं लगा। बताया गया है कि सारे नक्सली गुटों में बंटकर सारंडा एवं पोड़ाहाट जंगल की ओर भाग गये।
बुधवार को सुरक्षा बलों के जवान, जो कोल्हान जंगल के सांगाजाटा, बोरोई, पाटूंग, पराल, रायरवां, गोईलकेरा, रोवाम आदि क्षेत्र के जंगलों-पहाड़ों पर तैनात थे, अपने शिविरों में लौट गये। इन्होंने जंगलों में, पहाड़ों पर नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा संभाल रखा था। कुछ जवान सर्च ऑपरेशन में लगे थे, तो कुछ लूप लेकर बैठे थे। सभी बुधवार को दोपहर तक अपने शिविरों में लौट गये। उन्हें विभिन्न थाना क्षेत्रों से यात्री और अन्य वाहनों से उनके गंतव्य के लिए रवाना किया गया।