रांची। सोमवार को कुर्मी विकास मोर्चा व आंदोलनकारी मंच के ‘झारखंड बंद’ और शिक्षकों के मुख्यमंत्री का आवास घेरने से होगी। 29 अप्रैल को कुर्मियों के महाजुटान के साथ इस आंदोलन सप्ताह का अंत होगा। इस दौरान पुलिस और प्रशासन की माथापच्ची तो होगी ही, आम लोग भी बुरी तरह परेशान होंगे।
24 और 25 अप्रैल को आदिवासी जाति रक्षा समन्वय समिति कुर्मी को एसटी का दर्जा देने का विरोध शुरू करेगा। दोनों दिन मशाल जुलूस निकालेगा और 26 अप्रैल को रांची में बड़ी रैली होगी। इस दौरान कुर्मियों के आंदोलन की भी अंदर-अंदर तैयारी जारी रहेगी, क्योंकि 29 अप्रैल को मोरहाबादी में कुर्मी महाजुटान की तैयारी है। इस मंच से कुर्मी नेता किसी बड़े आंदोलन का एलान कर सकते हैं।
इधर, झारखंड बंद को सफल बनाने के लिए राजधानी रांची समेत सभी जिला मुख्यालयों, प्रखंडों, गांव-कस्बों में रविवार की शाम को मशाल जुलूस निकाला जायेगा। टोटोमिक कुर्मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग पर हो रहे इस बंद को असरदार बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की गयी है। कुर्मी नेता अपने-अपने स्तर पर जरूरी दिशा-निर्देश भी दे रहे हैं, ताकि आंदोलन को सफल बनाया जा सके।
आंदोलन की अगुवाई कर रहे संगठनों ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती, जब तक कुर्मी समाज को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं किया जाता है, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर लोगों को आंदोलन के लिए तैयार किया जा रहा है। सभी दलों के कुर्मी नेता का समर्थन इस आंदोलन को प्राप्त है। भले वे प्रत्यक्ष रूप से आंदोलन को समर्थन न दे रहे हों, परोक्ष रूप से सभी दलों के नेता आंदोलन के साथ हैं। गुपचुप तरीके से जनसंपर्क अभियान भी चला रहे हैं।