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नोबेल शांति पुरस्कार साल 2020: वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को मिला नोबेल शांति पुरस्कार
By Deshwani | Publish Date: 9/10/2020 4:39:22 PM
नोबेल शांति पुरस्कार  साल 2020: वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को मिला नोबेल शांति पुरस्कार

ओस्लो। साल 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान कर दिया गया है। इस बार ये किसी व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था को मिला है। इस बार ये सम्मान वर्ल्ड फूड प्रोग्राम संगठन को दिया गया है।  कोरोना वायरस संकट, सैन्य संकट और अन्य मुश्किल वक्त के बीच दुनिया में बड़े पैमाने पर जरूरतमंदों को खाना खिलाने और मदद करने के लिए ये चयन किया गया है।  

 
नोबेल समिति अपने पसंदीदा उम्मीदवार को लेकर पूरी गोपनीयता बरतती है। इसके बाद भी विजेता की घोषणा से पहले कई अटकलें लगती रहती हैं। इस बार, कयास लगाए जा रहे थे कि इस साल का शांति पुरस्कार जलवायु कार्यकर्ता एवं स्वीडन की नागरिक ग्रेटा थनबर्ग, नर्व एजेंट हमले से उबर रहे रूस के नेता अलेक्सेई नवलनी में से किसी को दिया जा सकता है। वहीं अमेरिकी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी इस रेस में थे।
 
इस पुरस्कार के लिए 318 उम्मीदवार थे, जिनमें से 211 व्यक्ति और 107 संगठन शामिल थे। नामांकन के लिए आखिरी समय सीमा 1 फरवरी, 2020 थी। नामांकन के लिए अंतिम समय सीमा एक फरवरी थी। नोबेल पुरस्कार के तहत स्वर्ण पदक, एक करोड़ स्वीडिश क्रोना (तकरीबन 8.27 करोड़ रुपये) की राशि दी जाती है।
 
 
नॉर्वेयिन नोबेल कमेटी की ओर से शुक्रवार को इसका ऐलान किया गया। संयुक्त राष्ट्र के ही संगठन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भूखों को खाना खिलाने, जहां पर सबसे अधिक तनाव की स्थिति है ऐसी जगह पर मदद पहुंचाने के लिए ये सम्मान दिया गया है। 
 
नोबेल कमेटी द्वारा साझा जानकारी के मुताबिक, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम दुनिया के सबसे बड़ी संस्था है जो कि खाने की मदद देती है। साल 2019 में WFP ने 88 देशों के 100 मिलियन लोगों को खाना मुहैया कराया। साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने सभी को खाना खिलाने के लिए एक नया मिशन माना था। आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में करीब 135 मिलियन लोग भूख के दुख से गुजरे जिनके पीछे युद्ध और सैन्य संकट जैसे कारण हैं।
 
कोरोना वायरस संकट के कारण ऐसे मामले अधिक बढ़े हैं। जबकि यमन, कोंगो, नाइजीरिया, सूडान समेत अन्य देशों में गृह युद्ध की वजह से खाना मिलना मुश्किल रहा। जबतक वैक्सीन नहीं आ जाती है, भोजन और इलाज ही सबसे बड़ी वैक्सीन है। ऐसे संकट के वक्त में इस ओर काम करने वाली संस्थाओं का सम्मान और मदद जरूरी है।
 
इससे पहले, इस बार रसायनविज्ञान और भौतिक समेत कई क्षेत्रों में नोबल पुरस्कार का ऐलान किया जा चुका है। रसायन विज्ञान के क्षेत्र में इस बार जीनोम एडिटिंग' की एक पद्धति विकसित करने के लिए इस वर्ष का पुरस्कार फ्रांस की विज्ञानी इमैनुएल शारपेंतिए और अमेरिका की जेनिफर डाउडना को दिया गया है। दोनों महिला विज्ञानियों ने अहम टूल 'सीआरआइएसपीआर-सीएएस9' को विकसित किया है। इसे जेनेटिक सीजर्स नाम दिया गया है।
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