तेहरान। चाबहार बंदरगाह के लिए भारतीय बजट में कटौती को लेकर ईरान के राजनयिक हल्कों में चिंता बढ़ गई है। साथ ही तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है। यह जानकारी आज मीडिया रिपोर्ट से मिली।
विदित हो कि केंद्रीय बजट में चाबहार पोर्ट के लिए 45 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले साल यह राशि 150 करोड़ थी। हालांकि बताया जाता है कि इस परियोजना के प्रति भारत अब भी प्रतिबद्ध है। आवंटन में बढ़ोतरी और कमी सामान्य है, इससे बंदरगाह परियोजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह विकसित कर रहा है। इस पोर्ट के जरिए पाकिस्तान से गुजरे बिना अफगानिस्तान और मध्य एशिया को भारत से जोड़ा जा सकेगा। दरअसल, यह पोर्ट पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का भारतीय जवाब के रूप में देखा जा रहा है। इसका उदघाटन दिसंबर, 2017 में हुआ था। इस साल जनवरी में भारत ने इस पोर्ट का संचालन अपने हाथ में ले लिया था।
भारत की ओर से आश्वस्त किए जाने के बावजूद ईरानी राजनयिकों का कहना है कि चाबहार का काम धीमा पड़ गया है। एक राजनियक ने कहा, "चाबहार में काम में चल रहा है लेकिन गति धीमी हो गई है। दोनों देश के नेता चाहे जो भी चाहते हों, लेकिन वक्त बर्बाद हो रहा है।" हालांकि इस सूत्र ने यह भी कहा कि निश्चित रूप से भारत रणनीतिक महत्व के इस परियोजना से अपना ध्यान नहीं हटा रहा है।
एक अन्य वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि भारत चाबहार में निवेश को लेकर गंभीर है। वहां के हर पार्टी के नेता इस परियोजना के पक्ष में हैं। पिछले दिनों ताजिकिस्तान में भारतीय विदेश मंत्री एस. जय शंकर और ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ से इस मुद्दे पर चर्चा की थी।