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अमरीकी सहयोगी देशों को घातक ड्रोन के निर्यात को देंगे बढ़ावा : डोनाल्ड ट्रंप
By Deshwani | Publish Date: 20/3/2018 6:52:49 PM
अमरीकी सहयोगी देशों को घातक ड्रोन के निर्यात को देंगे बढ़ावा : डोनाल्ड ट्रंप

 वाशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शीघ्र ही अपने सहयोगी और साझेदार देशों को अमरीका निर्मित घातक ड्रोन का निर्यात करने को बढ़ावा देंगे। आशा है कि ट्रंप विदेशों को ऐसी बिक्री के नियमों में बदलाव करेंगे, ताकि मानवरहित सैनिक विमानों पर लंबा विलंब वाली नई पॉलिसी में बदलाव किया जाए। यह नए विमान इस महीने के शुरू में मार्केट में आ जाएंगे।

हथियारों के निर्यात के व्यापक निर्यातक नियमों का यह पहला चरण होगा। अमरीकी ड्रोन निर्माण कंपनियों को विदेशी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसमें चीन और इस्राइल प्रमुख हैं, जो अपना सैन्य सामान हल्के प्रतिबंधों के तहत बेच देता है। व्हाइट हाउस को आशा है ​कि वह एक प्रस्ताव पेश करेंगे जो ट्रंप की बाई अमरीकन पहल का हिस्सा होंगे। जिसमें अधिक रोजगार पैदा करो और अमरीकी व्यापार घाटे को कम करने का प्रावधान होगा।
 
मानव अधिकार और हथियार नियंत्रक समर्थकों ने चेतावनी दी है कि इससे क्षेत्र में हिंसा और अस्तिरता को बढ़ावा मिलेगा। खासकर मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया में नई नीति की घोषणा इस चर्चा के बीच रोक दी गई ताकि मालूम हो सके कि कितने ड्रोन का निर्यात किया गया। इस विलंब से रक्षामंत्री जिम मेंटिस ने ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एचआर मैम मास्टर को एक पत्र लिखा जिसमें उन पर दबाव डाला गया कि वे नीति में बदलाव करें ताकि कुछ देशों में विक्री को बंद होने से रोका जाए।
 
नीति का ये प्रावधान होगा कि कुछ हंटर किलर ड्रोन की बिक्री पर पाबंदी हटाई जाए और कुछ मिसाइलों ओर कम दूरी के हथियार ले जाने वाले ड्रोन बेचे जाए। निर्यातक नियमों में निगरानी करने वाले सभी आकार के  ड्रोन शामिल होंगे। यद्यपि ट्रंप घातक डोनो की विक्री पर पूरी तरह खोलने पर कुछ प्रतिबंध लगाएंगे मगर वे वाशिंगटन के अधिक विश्वसनीय मुठ्ठी भर सहयोगी देशों को हथियार ओर  ड्रोन बेचने क खिलाफ लगी पाबंदी को हटा देंगे। मिलिट्री  ड्रोन में आधुनिक युद्धकला का चेहरा बदल दिया है। क्योंकि अमरीकी मॉडल की बहुत अधिक मांग है।
 
ट्रंप के सलाहकारों ने शुरू में पता लगाने और निशाना साधने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले "आई इन द स्काई" की विक्री को बढ़ावा देने के तौर तरीकों पर जोर दिया था। मगर एक वर्ष की समीक्षा के बाद उन्होंने एक योजना बनाई है जो विदेशों में अधिक सैन्य  ड्रोनों की विक्री में बदलाव किया जाए। इन खरीदारों में अधिक नाटो सदस्य, सउदी अरब ओर अन्य खाड़ी देश भी शामिल हैं इसके अलावा जापान और दक्षिण कोरिया को भी ऐसे  ड्रोन बेचे जाएंगे। 
 
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