हवाई जहाज का ''महा इंजन'' तैयार: पक्षी टकराने के बाद भी बोइंग जेट उड़ान भरता रहेगा
कैलीफोर्निया। दुनिया भर में रोजाना हजारों यात्री विमान उड़ान भरते हैं। ये विमान अत्यधिक ईंधन की खपत भी करते हैं। ईंधन की खपत को कम करने और विमान यात्रा को सुगम बनाने के लिए दुनियाभर में कई शोध किए जा रहे हैं। इसी क्रम में दुनिया के सबसे बड़े जेट इंजन का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है। जीई9एक्स नामक यह इंजन दूसरे विमान इंजनों की तुलना में ईंधन की खपत को 10 फीसदी तक कम करेगा. इसे 406 सीटों वाले बोइंग 777 एक्स प्लेन में लगाया गया जाएगा। 13 मार्च को इसे बोइंग 747 में लगाकर इसका परीक्षण किया गया। यह परीक्षण सफल रहा। परीक्षण के दौरान विमान ने चार घंटा उड़ान भरी. बोइंग के मुताबिक जीई9एक्स इंजन वाले बोइंग 777एक्स विमान की व्यावसायिक उड़ान 2020 में शुरू किए जाने की योजना है।
जीई9एक्स दुनिया का सबसे बड़ा जेट विमान इंजन है। इसके फैन का व्यास 134 इंच है। इसका टेक ऑफ थ्रस्ट 1.05 लाख एलबीएफ है। मतलब यह उड़ान के लिए अधिक शक्ति उत्पन्न करता है। इसके फैन में अन्य इंजनों के मुकाबले कम ब्लेड हैं। इसमें 16 ब्लेडों का इस्तेमाल हुआ है, जो स्टील और ग्लास फाइबर से बने हैं। इस कारण इन ब्लेडों में हवा में पक्षियों के टकराने से कोई नुकसान नहीं होगा। इससे यात्री सुरक्षित यात्रा कर सकेंगे. साथ ही इन पदार्थों से बने होने के कारण इसका वजन भी कम है।
जीई9एक्स को अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने बनाया है। फरवरी 2012 में कंपनी ने इस किफायती इंजन के निर्माण की घोषणा की थी। कंपनी ने इसे बोइंग के विमान 77एक्स-8/9 के लिए बनाने की घोषणा की थी। पहले इसके फैन का व्यास 128 इंच तय किया गया था। लेकिन बाद में 2013 में इसे बढ़ाकर 132 इंच करने की योजना बनी। 2014 में इसके व्यास को 133.5 इंच किए जाने की घोषणा की गई. कंपनी के मुताबिक ऐसे 700 इंजनों का ऑर्डर भी लिया जा चुका है।
ऐसे हुए टेस्ट
1. इंजन का पहला टेस्ट (FETT) अप्रैल, 2016 में पूरा किया गया। इसमें इसके डिजाइन, एरोडायनमिक्स परफॉर्मेंस, मेकेनिकल सिस्टम और एरोथर्मल हीटिंग को परखा गया. इंजन को 335 घंटे तक टेस्ट किया गया।
2. सर्द मौसम को झेलने के लिए इंजन की ताकत परखने के लिए भी इसका अलग टेस्ट हुआ। 2017 की सर्दियों में इसका यह टेस्ट पूरा हुआ। इसमें कोहरे और बर्फीली स्थिति से निपटने समेत ऐसे 50 टेस्ट किए गए।
3. इंजन का दूसरा टेस्ट (SETT) मई 2017 में शुरू किया गया। इस टेस्ट में इंजन की ईंधन खपत को जांचा गया. इसके कंप्रेशर, टरबाइन, और फैन को भी जांचा गया। फैन में लगे ब्लेड की क्षमता और उनकी परफॉर्मेंस को भी परखा गया। इसके बाद यह इंजन सर्टिफिकेशन के लिए तैयार किया गया।
4. मई 2017 में इसके सर्टिफिकेशन के लिए कार्यक्रम शुरू किया गया। 8 अन्य इंजनों को भी इस कार्यक्रम में शामिल किया गया। नवंबर 2017 तक ऐसे पांच इंजनों का टेस्ट रन पूरा किया गया था। इसका सर्टिफिकेशन 2019 में पूरा होने की संभावना जताई जा रही है।