अंतरराष्ट्रीय
ईशनिंदा करने के जुर्म में अहमदिया समुदाय के तीन लोगों को मौत की सजा
By Deshwani | Publish Date: 13/10/2017 9:51:11 AMलाहौर। पाकिस्तान के एक अदालत ने ईशनिंदा करने के जुर्म में अहमदिया समुदाय के तीन सदस्यों को मौत की सजा सुनाई गई है। उन पर अल्पसंख्यक समुदाय का बहिष्कार करने की मांग करने वाले पोस्टर फाडक़र ईशनिंदा करने का दोष है। तीनों दोषियों में से प्रत्येक पर 200,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है और अगर वे जुर्माना नहीं भरते हैं तो उन्हें छह महीने की जेल की कठोर सजा काटनी पड़ेगी।
पंजाब प्रांत के शेखुपुरा जिले के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मियां जावेद अकरम ने अभियोजन पक्ष द्वारा सबूत सौंपने और मामले में सभी गवाहों को पेश करने के बाद कल अपना फैसला सुनाया। तीनों के खिलाफ मई 2014 में धार्मिक पोस्टर फाडक़र ईशनिंदा करने का मामला दर्ज हुआ था।
शर्कपुर पुलिस थाने के अधिकारी मुहम्मद अशर के अनुसार, लोगों ने अहमदिया समुदाय का सामाजिक बहिष्कार करने का आग्रह करने वाले पोस्टर गांव में लगाए थे। उन्होंने बताया कि इन पोस्टरों पर धार्मिक छंद लिखे थे। पोस्टरों को हटाने पर तीन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई।
दोषियों ने अदालत के समक्ष पोस्टर हटाने की बात स्वीकार की लेकिन उन्होंने ईशनिंदा किए जाने से इनकार किया। उनके वकील ऊपरी अदालत में फैसले को चुनौती देंगे। प्रधानमंत्री पद से अयोग्य करार दिए गए नवाज शरीफ के दामाद मोहम्मद सफदर ने कल अहमदिया समुदाय की कड़ी निंदा करते हुए सरकार और सैन्य सेवा से उन्हें बाहर करने की मांग की थी। अहमदिया समुदाय को वर्ष 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के कार्यकाल के दौरान एक संविधान संशोधन के माध्यम से पाकिस्तान में गैर मुस्लिम घोषित कर दिया गया था।