डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
भारत के संविधान में संसदीय शासन व्यवस्था को स्वीकार किया गया है। इसमें राष्ट्रपति कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होता है। अनुच्छेद 52 के अनुसार कार्यपालिका की शक्तियां उसी में निहित रहती हैं। संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार वह संसद का एक अंग होता है। संसद के द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कानून के रूप में स्थापित होता है। वह लोकसभा को भंग कर सकता है। संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति का अभिभाषण इस व्यवस्था का महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है। वह प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करता है, जो सभी नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों को शपथ ग्रहण कराता है। नए अधिवेशन की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है। संसदीय प्रणाली की संवैधानिक शब्दावली में नवनियुक्त सरकार राष्ट्रपति की ही होती है। इसीलिए वह अपने भाषण में सरकार के क्रियाकलापों का उल्लेख करते है। नरेंद्र मोदी की सरकार लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है। इसलिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछली सरकार के महत्वपूर्ण कार्यों को चर्चा की और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला।
जाहिर है कि राष्ट्रपति का अभिभाषण पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। सरकार की भावी योजनाएं चर्चा में आती हैं। विपक्ष को सरकार की आलोचना का अवसर मिलता है। सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विस्तृत चर्चा होती है। इसके बाद ही अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। इसका पारित होना सरकार की प्रतिष्ठा से जुड़ा होता है।
संसदीय व्यवस्था का आदर्श नियम यह है कि राष्ट्रपति और प्रदेश विधानमंडल में राज्यपाल के अभिभाषण को शालीनता और गंभीरता के साथ सुना जाए। उनके अभिभाषण से असहमत होने का सभी को अधिकार है, लेकिन इस असहमति की अभिव्यक्ति धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान होनी चाहिए। अभी तक संसद में अपेक्षाकृत गंभीरता रही है। लेकिन इस बार राष्ट्रपति के अभिभाषण के करीब आधे समय तक राहुल गांधी अपने मोबाइल में लगे रहे। ऐसे में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से अभिभाषण की सम्यक आलोचना की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? वही हुआ, राहुल संसद से बाहर निकले तो अपने पुराने शब्दों को ही दोहरा सके। कहा कि मेरा मानना है कि राफेल सौदे में चोरी हुई है। मतलब 'ढाक के वही तीन पात'।
यह अजीब था कि राष्ट्रीय गौरव के उल्लेख पर भी राहुल गांधी ने मेज थपथपाने की जहमत नहीं उठाई। वह तो अभिभाषण समाप्त होने के बाद तत्काल बाहर जा रहे थे। उन्हें राष्ट्रपति के शिष्टाचार हेतु कुछ पल के लिए रोका गया।
राष्ट्रपति ने आधे सदस्यों के पहली बार निर्वाचन, 78 महिलाओं के लोकसभा पहुंचने का उल्लेख किया। इसमें तो कोई राजनीति नहीं थी। राष्ट्रपति ने इसमें कुछ भी गलत नहीं कहा था कि पांच वर्ष पहले देश में निराशा का माहौल था। वह कालखंड लोगों को आज भी याद है। यूपीए सरकार बड़े घोटालों के आरोप में घिरी थी। निवेश मिलना बंद हो गया था। मोदी के सरकार ने उस स्थिति को बदला। 'सबका साथ सबका विकास' के सिद्धांत पर काम किया। यह गरीबों के लिए समर्पित सरकार थी, जिसे लोगों ने दोबारा जनादेश दिया। इस अवधि में गरीबों के कल्याण हेतु कई योजनाएं लागू की गई। न्यू इंडिया अभियान की नींव रखी गई। दूसरी बार पदभार ग्रहण करने के तत्काल बाद नेशनल डिफेंस फंड से सैनिकों के बच्चों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि बढ़ा दी गई है। इसमें पहली बार राज्य पुलिस के जवानों के बेटे-बेटियों को शामिल किया गया है।
नए जलशक्ति मंत्रालय का गठन हुआ। इस नए मंत्रालय के माध्यम से जल संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। कृषि क्षेत्र की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए पच्चीस लाख करोड़ रुपये का और निवेश किया जाएगा। आज भारत मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। नीली क्रांति के क्षेत्र में देश को नम्बर वन बनाया जाएगा। इसलिए मछली पालन के समग्र विकास के लिए एक अलग विभाग गठित किया गया है।
पिछले कार्यकाल में सरकार ने पचास करोड़ गरीबों को आयुष्मान योजना से स्वास्थ्य योजना का लाभ दिया था। यह विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत, स्वरोजगार के लिए करीब उन्नीस करोड़ लोगों को ऋण दिए गए हैं। इस योजना का विस्तार करते हुए अब और तीस करोड़ लोगों तक इसका लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। उद्यमियों के लिए बिना गारंटी पचास लाख रुपये तक के ऋण की योजना भी लाई जाएगी। सामान्य वर्ग के गरीब युवाओं के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। सामाजिक क्षेत्र में भी बड़े बदलाव हुए।
एक बार में तीन तलाक से मुक्ति दिलाने की योजना पर काम हो रहा है। राफेल विमान आने से देश की वायुसेना मजबूत होगी। एयरस्ट्राइक ने देश का सम्मान बढ़ाया है। इससे आतंकवाद के विरोध में भारत की प्रतिबद्धता भी व्यक्त हुई है। अब देश के हर किसान को मदद की जाएगी। किसानों के लिए पेंशन योजना लागू की जा रही है। पहली बार किसी सरकार ने छोटे दुकानदारों के लिए पेंशन की योजना शुरू की है। इससे तीन करोड़ दुकानदारों को लाभ मिलेगा। 2022 तक सभी किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है। दशकों से लंबित सिचाईं योजनाएं पूरी की जा रही हैं। जनधन योजना को आगे बढ़ा कर हर गरीब के घर तक बैंक को पहुंचाया जा रहा है। जाहिर है कि राष्ट्रपति का अभिभाषण पूरी तरह तथ्यों पर आधारित था।
संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति का अभिभाषण जितना तर्कसंगत था, उतना ही सार्थक विचार प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। रामनाथ कोविंद ने पिछली सरकार के प्रमुख कार्यो का उल्लेख किया था। भावी योजनाओं की रूपरेखा बताई थी। इसी के साथ न्यू इंडिया के लिए सबके सहयोग का आह्वान किया था। नरेंद्र मोदी ने इसे व्यवहारिकता की कसौटी पर परिभाषित किया। धन्यवाद पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा था। मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि जनता ने जांच-परख कर हमें दोबारा चुना है। पिछले कार्यकाल की तरह जबको साथ लेकर विकास के मार्ग पर चलना है। तभी न्यू इंडिया का निर्माण होगा। देश को आधुनिक बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना है। यूपीए सरकार ने दस वर्षों में कभी अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ नहीं की थी।
नरेंद्र मोदी ने लाल किला की प्राचीर से सभी पूर्व की सरकारों बढ़िया बताया था। यह उदार दृष्टिकोण था। मोदी ने अपनी लकीर लंबी करने का प्रयास किया। इस पर जनता को ही फैसला करना है। संयोग से मोदी का जवाब 25 जून को हुआ। इसलिए उन्होंने आपातकाल लगाने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथ लिया। 70 वर्ष की बीमारी को पांच वर्ष में ठीक करना कठिन था। इसके लिए जनता ने पुनः जनादेश दिया है। सरदार सरोवर बांध की नींव जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी। लेकिन इसे नरेंद्र मोदी ने पूरा कराया। आज करीब चार करोड़ लोगों को पानी मिल रहा है।
मोदी सरकार ने महात्मा गांधी, आंबेडकर,लोहिया, लाल बहादुर शास्त्री आदि सभी को सम्मान दिया। करोड़ों शौचालय बनाये गए। पानी के लिए अलग मंत्रालय बनाया है। सरकार ने लोगों पर विश्वास किया। इसलिए एक आह्वान पर दो करोड़ लोगों ने गैस सब्सिडी स्वेच्छा से छोड़ दी। जय किसान के साथ जय अनुसंधान पर काम करना होगा। स्टार्ट अप इंडिया मेक इन इंडिया, कौशल विकास को और अच्छे से लागू करना है। मोदी सरकार ने घोटालों को रोका है। कालेधन व भ्रष्टाचारके खिलाफ सरकार का अभियान जारी है।