चीन से जारी तनाव के बीच संसद में बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हम हर हालात से निपटने के लिए तैयार हैं
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच आज मानसून सत्र का दूसरा दिन है। लद्दाख में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज संसद में बयान दिया। सिंह ने कहा कि आज मैं इस गरिमामयी सदन में लद्दाख की स्थिति से सदस्यों को अवगत कराने के लिए आया हूं।
उन्होंने कहा कि चीन मानता है कि ट्रैडिशनल लाइन के बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है। दोनों देश 1950-60 के दशक में इसपर बात कर रहे थे, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। राजनाथ सिंह ने संसद से चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि हम सीमा पर हर तरह के हालात से निपटने के लिए पूरी तैयार हैं।
इतना ही नहीं रक्षा मंत्री ने कहा, लद्दाख में हम एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं और हमें प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि पूरा सदन जवानों के साथ खड़ा है। चीन की पोल खोलते हुए राजनाथ सिंह ने बताया कि चीन ने एलएसी और अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां और गोला बारूद जमा किया हुआ है।
उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा मुद्दा है और इसका हल शांतिपूर्ण और बातचीत से निकाला जाना चाहिए। सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी है। राजनाथ सिंह ने कहा कि अभी LAC को लेकर दोनों देशों की अलग व्याख्या है। दोनों देशों के बीच शांति बहाल रखने के लिए समझौते है। रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों देश मानते हैं कि सीमा पर शांति जरूरी है।
रक्षा मंत्री ने कहा, यह सदन अवगत है चाईना, भारत की लगभग 38,000 स्क्वायर किलोमीटर भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित बाउंडरी एग्रीमेंट के तहत पाकिस्तान ने PoK की 5180 स्क्वायर किलोमीटर भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी थी।
सिंह ने कहा दोनों देशों को यथास्थिति बनाए रखना चाहिए और शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना चाहिए और शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना चाहिए। चीन भी यही कहता है। लेकिन चीन ने 29-30 अगस्त की रात्रि में फिर से पैंगोंग में घुसने की कोशिश की लेकिन हमारे सैनिकों ने प्रयास विफल कर दिए। उन्होंने कहा, मैंने 4 तारीख को चीन के सामने स्थिति को रखा। मैंने यह भी कहा कि हम इस मुद्दे को शांति से हल करना चाहते हैं। हमने यह भी स्पष्ट कर दिया कि हम भारत की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
रक्षा मंत्री ने कहा, 6 जून को दोनों देशों के कमांडर के बीच बातचीत हुई और दोनों पक्ष सेना पीछे हटाने के लिए तैयार हुए। लेकिन 15 जून को इस सहमति का उल्लंघन करते हुए चीन ने हिंसक झड़प को अंजाम दिया। हमारे बहादुर जवानों ने अपनी जान का बलिदान देकर चीनी पक्ष को भारी क्षति पहुंचाई और अपनी सीमा की रक्षा भी की। हमारे जवानों ने जहां,संयम की जरूरत थी, वहां संयम दिखाया, जहां शौर्य की जरूरत थी, वहां शौर्य दिखाया। बहादुर जवानों की प्रशंसा की जानी चाहिए। हमारे जवान देश की सीमा की रक्षा कर रहे हैं।