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आने वाले दिनों में और कई बैंकों के हो सकते हैं मर्जर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिए संकेत
By Deshwani | Publish Date: 18/2/2019 5:05:40 PM
आने वाले दिनों में और कई बैंकों के हो सकते हैं मर्जर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिए संकेत

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में मितव्ययिता के साथ काम करने के लिये देश को गिने चुने लेकिन बड़े बैंकों की आवश्यकता है। भारतीय स्टेट बैंक के साथ उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के 2017 में विलय के बाद सरकार ने इस साल देना बैंक, विजया बैंक का बैंक आफ बड़ौदा में विलय को मंजूरी दी है। 

 
आम बजट के बाद आरबीआई निदेशक मंडल के साथ होने वाली परंपरागत बैठक को संबोधित करते हुये जेटली ने कहा, ‘‘एसबीआई विलय का हमारे पास अनुभव है और अब इस क्षेत्र में दूसरा विलय हो रहा है।’’ 
 
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक बैंक क्षेत्र की बात है, भारत को गिने-चुने बड़े बैंकों की जरूरत है जो हर मायने में मजबूत हो। कर्ज की दर से लेकर बड़े पैमाने की मितव्ययिता के अनुकूलतम उपयोग तक में इसका लाभ उठाने में मदद मिलेगी।’’केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने तीन बैंकों के विलय को मंजूरी दे दी। इससे देश में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के बाद तीसरा सबसे बड़ा बैंक सृजित होगा। इन तीनों बैंका का विलय एक अप्रैल 2019 से प्रभाव में आएगा। इस विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 18 रह जाएगी।
 
तीन बड़े बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के मर्जर के बाद अब दूसरे सरकारी बैंकों की विलय प्रक्रिया शुरू होने की संभावनाएं तेज हो गई हैं। अगला नंबर किसका होगा इसका नाम सामने आने में समय लग सकता है। लेकिन, मार्केट एक्सपर्ट्स की मानें तो अगला मर्जर पंजाब नेशनल बैंक के साथ हो सकता है। 
 
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अगली कड़ी में पीएनबी में ओबीसी, इलाहाबाद बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, इंडियन बैंक का मर्जर हो सकता है। हालांकि, इसमें भी तीन बैंकों के मर्जर की ही संभावना है। सरकार तीन-तीन के ग्रुप में मर्जर प्रक्रिया को चलाना चाहती है।
 
बैंकों को एनपीए से निपटने और मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए सरकारी बैंकों का मर्जर जरूरी है। सरकार के अलावा कई ब्रोकरेज फर्म भी बैंकों के कंसॉलिडेशन पर जोर दे चुकी हैं। पहले एसबीआई के साथ छह बैंकों का विलय हुआ और अब बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय को मंजूरी दी गई। इससे साफ है कि सरकार निजी बैंकों के बढ़ते कारोबार के साथ सार्वजनिक बैंकों को मजबूती देना चाहती है।
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