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बिहार
चमकी बुखार पीड़ितों की चिकित्सा व्यवस्था से सरकार संतुष्ट, देर से अस्पताल पहुंचने के कारण हुई ज्यादा बच्चों की मौत
By Deshwani | Publish Date: 18/6/2019 6:33:53 PM
चमकी बुखार पीड़ितों की चिकित्सा व्यवस्था से सरकार संतुष्ट, देर से अस्पताल पहुंचने के कारण हुई ज्यादा बच्चों की मौत

पटना। बिहार सरकार ने मुजफफरपुर और उसके आसपास के जिलों में चमकी बुखार से मासूमों की मौत का सिलसिला देख एहतियाति कदम उठाने के साथ एसकेएमसीएच को 2500 बेड का अस्पताल बनाने का निर्णय लिया है। इसके साथ बच्चों की देखवाल के लिए 100 बेड की व्यवस्था होगी। सरकार ने चिकित्सा व्यवस्था पर संतोष जाहिर किया है। 

 
मुख्य सचिव दीपक कुमार और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने आज दोपहर यहां संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में सरकार की ओर से कहा कि चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के इलाज की व्यवस्था होगी। उन्होंने कहा कि अभी तक इससे 437 बच्चे पीडित हुए हैं जिनमें 107 की मौत हुई है। एहतियाति तौर पर संबंधित जिलों में बच्चों को ओआरएस का घोल पिलाने का अभियान शुरू होगा। स्वास्थ्य महमका की ओर से चमकी बुखार पीड़ित परिवारों के घर-घर जाकर उनकी सामाजिक-आर्थिक एवं जलवायु परिस्थितियों का आकलन होगा।
 
मुख्य सचिव ने बताया कि एसकेएमसीएच अभी 610 बेड का अस्पताल है। एक वर्ष में इसे 1500 बेड का बनाया जायेगा और अंतत: यह 2500 बेड का अस्पताल बनेगा। अभी बच्चों की देखभाल के लिए 50 बेड की व्यवस्था है। वहां परिजनों के ठहरने के लिए बड़ी धर्मशाला बनेगी। मुख्य सचिव दीपक कुमार मुजफफरपुर से लौटकर मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहे ​थे। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ चमकी बुखार पीड़ित मासूमों की हालत देखने गये थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने विशेष पहल शुरु की है। ज्ञात हो कि 1-2 जून से चमकी बुखार से मासूमों के पीड़ित होने और मौत का सिलसिला शुरू हुआ और आज तक इससे 107 बच्चों की मौत होने की पुष्टि की गयी है।
 
मुख्य सचिव ने बताया कि  मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल और केजरीवाल अस्पताल में मासूमों की चिकित्सा में सहयोग के लिए पीएमसीएच और डीएमसीएच से चिकित्सों की टीम भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी भी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि चमकी बुखार का वास्तविक कारण क्या है। मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी, कांटी और मीनापुर प्रखंडों में चमकी बुखार का अधिक प्रभाव देखने को ​मिला है। इनमें ​अधिसंख्य परिवारों की माली हालत अच्छी नहीं है। 
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